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विशेष शब्दों के अर्थ–'मंसखलं वा मच्छखलं वा'-संखडि के निमित्त माँस या मत्स्य काट-काटकर सुखाया जाता हो, उसका ढेर माँसखल तथा मत्स्यखल कहलाता है। आहेणं-विवाह के बाद नववधू-प्रवेश के उपलक्ष्य में दिया जाने वाला भोज। पहेणं-पितृगृह में वधू के पुनः आगमन पर दिया जाने वाला भोज। हिंगोलं-मृतक भोज। संमेलं-परिजनों के सम्मान में दिया जाने वाला प्रीतिभोज (दावत) या गोठ।
Technical Terms : Mansakhalam va machhakhalam va-skinned and chopped meat or fish meant for a feast and placed in heaps for drying. Ahenam-feast organized on the occasion to welcome newly wedded bride after her marriage. Pahenam--feast on the occasion of a bride returning to her parents house. Hingolam-feast in connection with honouring a deceased. Sammelam--feast in honour of relatives.
गो-दोहन वेला में भिक्षा के लिए जाने का निषेध
२३. से भिक्खू वा २ जाव पविसिउकामे से जं पुण जाणिज्जा, खीरिणीयाओ गावीओ खीरिज्जमाणीओ पेहाए असणं वा ४ उवक्खडिज्जमाणं पेहाए, पुरा अप्पजूहिए। सेवं णच्चा णो गाहावइकुलं पिंडवायपडियाए णिक्खमेज्ज वा पविसेज्ज वा।
से त्तमायाए एगंतमवक्कमेज्जा, एगंतमवक्कमित्ता अणावायमसंलोए चिद्विज्जा। अह पुण एवं जाणिज्जा, खीरिणीयाओ गावीओ खीरियाओ पेहाए, असणं वा ४ उवक्खडियं पेहाए, पुरा पंजूहिए। सेवं णच्चा तओ संजयामेव गाहावइकुलं पिंडवायपडियाए णिक्खमिज्ज वा पविसिज्ज वा।
२३. भिक्षु या भिक्षुणी गृहस्थ के घर में भिक्षा के लिए जाना चाहते हों; (यदि उस समय) यह जान ले कि अभी दुधारू गायों को दुहा जा रहा है तथा घर में अशनादि आहार अभी तैयार किया जा रहा है या हो रहा है, अभी तक उसमें से किसी दूसरे को दिया नहीं गया है। ऐसा जान ले तो आहार ग्रहण करने के लिए न तो उपाश्रय से निकले और न ही उस गृहस्थ के घर में प्रवेश करे।
किन्तु (गृहस्थ के घर में चले जाने पर यदि पता चले कि अभी गो-दोहन आदि हो रहा है तो) वह भिक्षु उसे जानकर एकान्त में चला जाए और जहाँ कोई आता-जाता न हो और न देखता हो, वहाँ ठहर जाए। जब वह यह जान ले कि गायें दुही जा चुकी हैं और अशनादि चतुर्विध आहार भी अब तैयार हो गया है तथा उसमें से दूसरों को दे दिया गया है, तब वह संयमी साधु आहार-प्राप्ति की दृष्टि से वहाँ से निकले या उस गृहस्थ के घर में प्रवेश करे।
पिण्डैषणा : प्रथम अध्ययन
Pindesana : Frist Chapter
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