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चित्र परिचय ३
Illustration No. 3
एषणा-समिति-विवेक (१) भिक्षा के लिए जाते समय श्रमण यदि देखे कि मार्ग में मदोन्मत्त साँड, भैंसा, सद्यःप्रसूता गाय,
दुष्ट घोड़ा, सियार, कुत्ता, शूकर आदि हिंसक या उन्मत्त जानवर खड़े हों। (सूत्र २७) अथवा उस रास्ते पर कबूतर, चिड़िया, कौआ आदि दाना चुग रहे हों तो भिक्षु आत्म-विराधना और
जीवों की अन्तराय टालने की दृष्टि से उस मार्ग से नहीं जाये। वापस लौट जाये। (सूत्र ३१) । (२) भिक्षा के लिए जाते हुए मार्ग में यदि कीचड़ हौ, गड्ढा हो, दूंठ पड़े हों, मार्ग विषम हो तो
ऐसे मार्ग से न जाये। (सूत्र २८) भिक्षा के लिए जाते समय देखे कि गृहस्थ के द्वार पर भिक्षा माँगने वालों की भीड़ लगी है। गृहस्थ उन्हें भिक्षा दे रहा हो तो भिक्षु उनको देखकर वापस लौट जाये और जहाँ पर दाता गृहस्थ की नजर नहीं पड़े ऐसे एकान्त स्थान पर चुपचाप खड़ा रहे ताकि किसी की भिक्षावृत्ति में अन्तराय न पड़े। सबके चले जाने के बाद भिक्षु गृहस्थ के द्वार पर जा सकता है।
-अध्ययन १, सूत्र २२, पृ. ५१
PRUDENCE IN ESHANA SAMITI (1) An ascetic while going to seek alms should find if a mad bull or
buffalo or a cow who has just delivered a calf, mad horse, jackal, dog, wild boar or other such ferocious or mad animal is standing on the path. (aphorism 27) Or birds like pigeon, crow etc. are feeding on the path. In such condition, to avoid harm to self and disturbing other beings, he should not take to that path. He
should turn back. (aphorism 31) (2) While going to seek alms he should avoid a path that has slime,
ditch, stumps or which is uneven. (aphorism 28) While going to seek alms he should see if there is a crowd of alms seekers at the householder's door. If he finds that the householder is distributing alms, in order not to deprive those others, the ascetic should retreat to a solitary place where he is not visible to the householder. He can go there when all the others have gone.
-Chapter 1, aphorism 22, p. 51
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