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बहवे समण-माहण-अतिहि-किवण-वणीमए एगाओ उक्खाओ परिएसिज्जमाणे दोहिं ... जाव संणिहि-संणिचयाओ वा परिएसिज्जमाणे पेहाए तहप्पगारं असणं वा ४.: अपुरिसंतरगडं जाव णो पडिगाहिज्जा। __अह पुण एवं जाणेज्जा-दिन्नं जं तेसिं दायव्वं, अह तत्थ भुंजमाणे पेहाए, गाहावइभारियं वा गाहावइभगिणिं वा गाहावइपुत्तं वा गाहावइधूयं वा सुण्हं वा धाइं वा । दासं वा दासिं वा कम्मकरं वा कम्मकरिं वा से पुव्वामेव आलोएज्जा
आउसो त्ति ! वा भगिणि त्ति वा दाहिसि मे इत्तो अण्णयरं भोयणजायं ?
से सेवं वदंतस्स परो असणं वा ४ आहटु दलइज्जा। तहप्पगारं असणं वा ४ सयं । वा पुण जाइज्जा, परो वा से दिज्जा, फासुयं जाव पडिगाहिज्जा।।
१२. साधु या साध्वी भिक्षा के लिए गृहस्थ के घर में जाते समय यह जाने कि यहाँ ... महोत्सव के लिए लोग एकत्र हो रहे हैं। पितृपिण्ड में तथा इन्द्र-महोत्सव, स्कन्ध-महोत्सव, ... रुद्र-महोत्सव, मुकुन्द-महोत्सव, भूत-महोत्सव, यक्ष-महोत्सव, नाग-महोत्सव तथा स्तूप, चैत्य, वृक्ष, पर्वत, गुफा, कूप, तालाब, हृद (झील), नदी, सरोवर, सागर या आकर (खान), सम्बन्धी महोत्सव एवं अन्य इसी प्रकार के विभिन्न प्रकार के महोत्सव हो रहे हैं।
(उनके उपलक्ष्य में) अशनादि चारों प्रकार का आहार बहुत-से श्रमण-ब्राह्मण, अतिथि, . दरिद्र, याचकों को एक बर्तन में से, दो बर्तनों, तीन बर्तनों या चार बर्तनों में से , (निकालकर) परोसा (भोजन कराया जा रहा है तथा घी, दूध, दही, तैल, गुड़ आदि । परोसा जा रहा है, यह देखकर तथा इस प्रकार का आहार पुरुषान्तरकृत नहीं है तो ऐसे , चतुर्विध आहार को अप्रासुक और अनेषणीय समझकर ग्रहण न करे। ___ यदि यह जाने कि जिनको देना था, उनको दिया जा चुका है, अब वहाँ गृहस्थ भोजन, कर रहे हैं, ऐसा देखकर (आहार के लिए वहाँ जाए), उस गृहपति की पत्नी, बहन, पुत्र, पुत्री या पुत्रवधू, धायमाता, दास या दासी अथवा नौकर या नौकरानी को भोजन करती। हुई देखे, तब उनसे पूछे-"आयुष्मती भगिनी ! क्या मुझे इस भोजन सामग्री में से कुछ " दोगी?' ऐसा कहने पर वह स्वयं अशनादि आहार लाकर साधु को दे अथवा भिक्षु ' अशनादि चतुर्विध आहार की स्वयं याचना करे या वह गृहस्थ स्वयं दे तो उस आहार को, शुद्ध एषणीय जानकर ग्रहण करे।
ALMS-SEEKING FROM PLACES OF CELEBRATIONS
12. A bhikshu or bhikshuni while entering the house of a layman in order to seek alms should find if people are gathering पिण्डैषणा : प्रथम अध्ययन
Pindesana : Frist Chapter
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