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चित्र परिचय १
Illustration No. 1
उत्सव आदि में आहार ग्रहण-निषेध अनगार भिक्षु भिक्षा के लिए जाते हुए यदि जाने कि(१) यहाँ पर गृह-प्रवेश का उत्सव हो रहा है, या (२) नाग महोत्सव, इन्द्र महोत्सव, स्कन्द (कार्तिकेय) महोत्सव आदि का उत्सव है, या (३) किसी स्वर्गीय व्यक्ति की स्मृति में (पितृपिण्ड का) भोज हो रहा है। अन्य किसी प्रकार का
उत्सव है और उसके उपलक्ष्य में(४) अनेक श्रमणों, ब्राह्मणों, भिक्षुकों, संन्यासियों, याचकों, अतिथियों आदि का आवागमन हो
रहा है। उन्हें अनेक बर्तनों में रखे घी, दही, पक्वान्न आदि भोजन परोसा जा रहा है तो श्रमण-श्रमणी उस भोज (संखडि) में भिक्षा के लिए नहीं जाये तथा न ही किसी प्रकार का आहार ग्रहण करे। भिक्षा बिना लिए वापस लौट आवे।
-अध्ययन १, सूत्र १२, पृ.३०
CENSURE OF TAKING FOOD AT
CELEBRATIONS ETC. While going to seek alms if a houseless ascetic finds(1) There is some house-warming celebration in the house; or (2) Celebrations of festivals in honour of Indra or Skanda
(Kartikeya) or other deities; or (3) A feast in memory of a deceased (offerings to deceased
ancestors); or some other celebrations and on the occasion(4) Numerous Shramans, Brahmins, destitute and beggars are
coming and going. Butter, curd and delicacies are being served to them from numerous pots; then the ascetic should neither go to such feast to seek alms nor collect any food. He should return without collecting alms.
---Chapter 1, aphorism 12, p. 30
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