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SUITABLE CLANS
11. A bhikshu or bhikshuni on entering the house of a layman, should find about these clans (suitable for taking alms from)___Ugra-clan, Bhog-clan, Rajanya-clan, Kshatriya-clan, Ikshvaku-clan, Harivamsh-clan, Gopal-clan, Vaishya-clan, Napitclan, Badhai-clan, Gramrakshak-clan and Tantuvaya-clan; an ascetic may take four types of food, if it is prasuk and acceptable, from these or other such clans that are not infamous or despicable.
विवेचन-मुनि जिन घरों या समुदायों से भिक्षा ग्रहण करता है, उनके सम्बन्ध में इस सूत्र में निर्देश है। __'कुल' शब्द का सामान्य अर्थ है-वंश, गोत्र या पूर्वजों की वंश-परम्परा। पिता का पक्ष कुल : कहलाता है और मातृपक्ष वंश। कुछ स्थानों पर कुल शब्द समुदाय या समूह के अर्थ में भी प्रयुक्त : हुआ है। जैसे-आगमों में मुनि के भिक्षा प्रसंग पर उच्च-नीच-मज्झिम कुलेसु अडमाणे पाठ आता, है। वहाँ कुल का अर्थ वंश नहीं करके घर की श्रेणी या समूहपरक अर्थ किया जाता है।
इस सूत्र में प्राचीन समय के कुछ प्रमुख कुलों का ही उल्लेख है। जैसे-उग्र-कुल-भगवान : ऋषभदेव ने जिस कुल को रक्षक रूप में स्थापित किया वह। आरक्षि-कुल/भोग-कुल-राजा के पूज्य पुरोहित ब्राह्मण-कुल। राजन्य-कुल-राजा के मित्र समान व्यवहार करने वाले, क्षत्रिय आदि वंश। इक्ष्वाकु-ऋषभदेव स्वामी के वंश, मर्यादा पुरुषोत्तम राम का वंश। हरिवंश-श्रीकृष्ण, अरिष्टनेमि आदि के वंशज। एसिय-कुल-गोपाल ज्ञाति। वेसिय-कुल-वैश्य ज्ञातीय वणिक् । गण्डक-कुल-नापित ज्ञातीय। कोट्टाग (एष्य)-कुल-सुथार या बढ़ई जातीय। वोक्कसालिय-कुलतन्तुवाय (बुनकर) ज्ञातीय। गामरक्ख-कुल-ग्रामरक्षक ज्ञातीय। ___ चूर्णिकार ने कुछ पदों के अर्थ इस प्रकार दिये हैं-एसिय-वणिक्, वेसिय-रंगरेज : (रंगोपजीवी), गंडाक-ग्राम का आदेशवाहक, कोट्टाग-रथकार। प्रासुक और एषणीय का विचार .. तो सभी घरों में आहार लेते समय करना ही चाहिए। जुगुप्सित-कुल से अभिप्राय है-जिस घर में : प्रवेश करने पर गंदगी, अभक्ष्य आदि वस्तुओं के कारण घृणा होती है। गर्हित कुल से अभिप्राय है-जहाँ जाने पर निन्दा व बदनामी होती हो।
Elaboration—This aphorism instructs about the clans from which an ascetic seeks alms.
The common meaning of the word kula is clan, caste or the family lineage. The fathers lineage is called kula and that of the mother is पिण्डैषणा : प्रथम अध्ययन
( २९ )
Pindesana : Frist Chapter
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