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to the Meru mountain. The collective radiance of their upward and downward movement filled the skies with a divine glow. There was commotion in the world and their laughter reverberated all around. ___ ३५0 जं णं रयणिं तिसला खत्तियाणी समणं भगवं महावीरं अरोया अरोयं पसूआ तं णं रयणिं बहवे देवा य देवीओ य एगं महं अमयवासं च गंधवासं च चुण्णवासं च पुप्फवासं च हिरण्णवासं च रयणवासं च वासिंसु। ___ ३५0. जिस रात्रि त्रिशला क्षत्रियाणी ने श्रमण भगवान महावीर को सुखपूर्वक जन्म दिया, उस रात्रि में बहुत-से देवों और देवियों ने एक बड़ी भारी अमृत की, सुगन्धित पदार्थों की और सुवासित चूर्ण, पुष्प, चाँदी सोने और रत्नों की वृष्टि की।
350. The night Trishala Kshatriyani gave birth to Shraman Bhagavan Mahavir numerous gods and goddesses caused a divine downpour of ambrosia, perfumes, fragrant powders, flowers, silver, gold and gems. __ ३५१. जं णं रयणिं तिसला खत्तियाणी समणं भगवं महावीरं अरोया अरोयं पसूया तं णं रयणिं भवणवइ-वाणमंतर-जोइसिय-विमाणवासिणो देवा य देवीओ य समणस्स भगवओ महावीरस्स कोतुगभूइकम्माइं तित्थगराभिसेयं च करिंसु।
३५१. जिस रात्रि में त्रिशला क्षत्रियाणी ने श्रमण भगवान महावीर को सुखपूर्वक जन्म दिया, उस रात्रि में भवनपति, वाणव्यन्तर, ज्योतिष्क और वैमानिक देवों और देवियों ने श्रमण भगवान महावीर का कौतुकमंगल (नजर दोष से बचाने के लिए काजल की बिंदी) आदि शुचिकर्म तथा तीर्थंकराभिषेक किया।
351. The night Trishala Kshatriyani gave birth to Shraman Bhagavan Mahavir numerous Bhavanpati, Vanavyantar, Jyotishi and Vaimanik (the names of the four dimensions of gods) gods and goddesses performed kautukamangal (making auspicious marks of lamp-black or vermilion), shuchikarma (post-birth cleansing of the newborn), and Tirthankarabhishek (anointing ceremony or divine bath of Tirthankar). भावना : पन्द्रहवाँ अध्ययन
( ४८९ ) Bhaavana : Fifteenth Chapter
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