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(5) Moving ahead or behind may raise questions about self respect. (6) There is distraction in meditation and studies. There is a scope 2.
of restrain and distraction in physical activities of relieving oneself. Due to possibility of these and many other faults, an ascetic should move about or do his activities alone.
औद्देशिकादि दोषरहित आहार की एषणा
८. से भिक्खू वा २ जाव समाणे से जं पुण जाणेज्जा असणं वा ४। अस्संपडियाए । एगं साहम्मियं समुद्दिस्स पाणाइं भूयाइं जीवाइं सत्ताई समारम्भ समुद्दिस्स कीतं पामिच्चं अच्छेज्जं अणिसट्ठ अभिहडं आहटु चेएइ, तं तहप्पगारं असणं वा ४ पुरिसंतरकडं वा । अपुरिसंतरकडं वा बहिया णीहडं वा अणीहडं वा अत्तट्ठियं वा अणत्तट्टियं वा परिभुत्तं , वा अपरिभुत्तं वा आसेइयं वा अणासेइयं वा अफासुयं जाव णो पडिगाहेज्जा। ___ एवं बहवे साहम्मिया एगं साहम्मिणिं, बहवे साहम्मिणीओ समुद्दिस्स चत्तारि आलावगा भाणियव्वा।
[१] से भिक्खू वा २ जाव पविढे समाणे से जं पुण जाणेज्जा असणं वा ४ बहवे. समण-माहण-अतिहि-किवण-वणीमए पगणिय पगणिय समुद्दिस्स पाणाई जाव णो पडिगाहेज्जा।
[२] से भिक्खू वा २ जाव पविढे समाणे से जं पुण जाणेज्जा-असणं वा ४ बहवे समण-माहण-अतिहि-किवण-वणीमए समुद्दिस्स पाणाई ४ जाव आहटु चेएइ, तं तहप्पगारं असणं वा ४ अपुरिसंतरकडं, अबहिया णीहडं अणत्तट्ठियं अपरिभुयं अणासेवियं अफासुयं अणेसणिज्जं जाव णो पडिगाहेज्जा। ___ अह पुण एवं जाणेज्जा पुरिसंतरकडं बहिया णीहडं अत्तट्ठियं परिभुत्तं आसेवियं, फासुयं एसणिज्जं जाव पडिगाहेज्जा।
८. भिक्षु या भिक्षुणी गृहस्थ के घर में भिक्षा के लिए जाता हुआ जब यह जाने कि किसी गृहस्थ ने एक साधर्मिक साधु के उद्देश्य से प्राण, भूत जीव और सत्त्वों का समारम्भ करके आहार बनाया है, साधु के निमित्त से आहार मोल लिया, उधार लिया है, किसी से , जबरन छीनकर लाया है, उसके स्वामी की अनुमति के बिना लिया हुआ है तथा घर से (साधु के स्थान पर) लाया हुआ आहार दे रहा है, तो इस प्रकार का (दोषयुक्त) अशन, से पान रूप आहारदाता से भिन्न किसी अन्य पुरुष ने बनाया हो अथवा स्वयं दाता ने आचारांग सूत्र (भाग २)
( १८ )
Acharanga Sutra (Part 2)
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