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२६७. से भिक्खू वा २ खधंसि वा ६, अण्णयरे वा तहप्पगारे जाव णो उग्गहं ओगिण्हेज्ज वा २।
२६७. साधु-साध्वी ऐसे उपाश्रय को जाने जो स्तम्भ, मचान, ऊपर की मंजिल, प्रासाद पर या तलघर में स्थित हो या उस प्रकार के किसी उच्च स्थान पर हो तो ऐसे चल-विचल स्थान की अनुज्ञा ग्रहण न करे।
267. A disciplined bhikshu or bhikshuni should find if a place is located on a pillar, scaffold, upper storey, palace or cellar. If it is so he should not seek permission and stay at such unstable and unsecured place.
२६८. से भिक्खू वा २ से जं पुण उग्गहं जाणेज्जा सागारियं सागणियं सउदयं सइत्थिं सखुड्ड सपसुभत्तपाणं णो पण्णस्स णिक्खम-पवेस जाव धम्माणुओगचिंताए, सेवं णच्चा तहप्पगारे उवस्सए सागारिए जाव सखुड्ड-पसु-भत्तपाणे नो उग्गहं ओगिण्हेज्ज वा
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२६८. साधु-साध्वी ऐसे अवग्रह को जाने, जो गृहस्थों से संसक्त हो, अग्नि और जल से युक्त हो, जिसमें स्त्रियाँ, छोटे बालक अथवा क्षुद्र-(नपुंसक) रहते हों, जो पशुओं से युक्त हो, उनके योग्य खाद्य-सामग्री से भरा हो, बुद्धिमान साधु को ऐसे आवास स्थान पर नहीं ठहरना चाहिए तथा जिस उपाश्रय में जाने-आने का मार्ग वाचना यावत् धर्मानुयोग-चिन्तन के योग्य नहीं वहाँ भी नहीं ठहरना चाहिए।
268. A disciplined bhikshu or bhikshuni should find if a place is crowded with householders, has water and fire in it, where women, children or eunuches live, which has animals and also filled with food for them. A wise ascetic should not stay at such place. He should also avoid a place with an approach that is not suitable for discourse, meditation and other such ascetic activities ___ २६९. से भिक्खू वा २ से जं पुण उग्गहं जाणेज्जा गाहाचइकुलस्स मज्झमझेणं . गंतुं पंथे पडिबद्धं वा, णो पण्णस्स जाव, से एवं णच्चा तहप्पगारे उवस्सए णो उग्गहं
ओगिहिज्जा वा २।
अवग्रह प्रतिमा : सप्तम अध्ययन
( ३७७ )
Avagraha Pratima : Seventh Chapter
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