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अध्ययन में बताया गया है। अन्तर इतना ही है कि यहाँ केवल सभी वस्त्रों को साथ लेकर जाने का विधि-निषेध है।
MOVING ABOUT WITH ALL CLOTHES
237. When a bhikshu or bhikshuni wants to go to the house of a householder he should come out of the upashraya with all his clothes and enter the householders place with all his clothes. In the same way while going away from the habitation to the place of study or to relieve himself and also when going from on village to another he should carry all his clothes.
If he finds that it is raining in a wide area or airborne insects are falling in clusters, he should follow the instructions mentioned in the Pindaishana chapter. The only difference being that here it is with regard to carrying clothes.
विवेचन-इस सूत्र के प्रथम अंश में-(१) भिक्षा, (२) स्वाध्याय, (३) शौच, एवं (४) ग्रामानुग्राम विहार के लिए जाते-आते सभी वस्त्र साथ में लेकर जाने का विधान है, जबकि द्वितीय अंश में अत्यन्त वर्षा हो रही हो, कोहरा तेजी से पड़ रहा हो, आँधी या तूफान के कारण तेज हवा चल रही हो, तिरछे उड़ने वाले त्रस प्राणी गिर रहे हों तो उस समय वस्त्र साथ में लेकर जाने का ही नहीं, उपाश्रय से बाहर निकलने या भिक्षा आदि स्थलों में प्रवेश करने का भी निषेध है। 'तिव्वदेसियं' से सम्बन्धित अपवाद के सम्बन्ध में चूर्णिकार का मत-'तिव्वदेसितगादिसु ण कप्पति' तीव्र वर्षा, आँधी, कोहरा, तूफान आदि में साधु को सब कपड़े लेकर विहारादि करना तो दूर रहा, स्थान से बाहर निकलना भी नहीं कल्पता तथा वस्त्र साथ लेकर जाने के विधान के पीछे दृष्टि यह है कि कोई पीछे से वस्त्र चुरा ले; द्वेषवश फेंक दे या उनमें शस्त्रादि छुपाकर श्रमण पर दोषारोपण कर दे। अधिक उपधि का निषेध तथा स्वल्प मूल्य वाले वस्त्र रखने का कथन भी इसी में ध्वनित होता है। सम्पूर्ण वस्त्र साथ में लेकर जाने के संदर्भ में तत्कालीन बौद्ध साहित्य का एक उल्लेख यहाँ पठनीय है। एक भिक्षु अन्धवन में चीवर छोड़कर गाँव में भिक्षा के लिए गया। चोर पीछे से चीवर को चुराकर ले गया। भिक्षु मैले चीवर वाला हो गया। तब तथागत के समक्ष यह प्रसंग आया तो तथागत ने कहा-एक ही बचे चीवर से गाँव में नहीं जाना चाहिए। (विनयपिटक महावग्ग ८।६।१, पृ. २८७-२८८)
Elaboration—The first part of this aphorism contains the rule of carrying all clothes while going for (1) alms, (2) studies, (3) relieving oneself, and (4) from one village to another. The second part contains censure of not only carrying clothes but also of going out of the वस्त्रैषणा : पंचम अध्ययन
( 338 ) Vastraishana : Fifth Chapter
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