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Appande and other words with the prefix alp denote absence. Where there are no beings (etc.). Pratilekhan and pramarjan mean inspect carefully and then cleanse carefully with the ascetic-broom.
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सबीज अन्न-ग्रहण निषेध
२. से भिक्खू वा भिक्खुणी वा गाहावइ जाव पविढे समाणे-से जाओ पुण ओसहीओ जाणिज्जा। कसिणाओ सासियाओ अविदलकडाओ अतिरिच्छच्छिण्णाओ अव्वोच्छिण्णाओ; तरुणियं वा छिवाडिं अणभिक्कंतमभज्जियं पेहाए अफासुयं अणेसणिज्जं ति मण्णमाणे लाभे संते णो पडिगाहिज्जा।
से भिक्खू वा २ जाव पविढे समाणे से जाओ पुण ओसहीओ जाणेज्जा। अकसिणाओ असासियाओ विदलकडाओ तिरिच्छच्छिण्णाओ वोच्छिण्णाओ तरुणियं वा छिवाडिं अभिक्कंतं भज्जियं पेहाए फासुयं एसणिज्जं ति मण्णमाणे लाभे संते पडिगाहेज्जा।
२. गृहस्थ के घर में गया हुआ भिक्षु या भिक्षुणी यदि इन औषधियों-(बीज वाले अनाजों) को जाने कि वे अखण्डित (पूर्ण) हैं, इनकी योनि नष्ट नहीं हुई है, जिनके दो या दो से अधिक टुकड़े नहीं हुए हैं, जिनका तिरछा छेदन नहीं हुआ है, जो जीवरहित (प्रासुक) नहीं है, अभी कच्ची अधपकी फली हैं, जो अभी सचित्त व अभग्न हैं या अग्नि में भुंजी हुई नहीं हैं, तो उन्हें देखकर उनको अप्रासुक एवं अनेषणीय समझकर प्राप्त होने पर भी ग्रहण न करे।
गृहस्थ के घर में प्रविष्ट भिक्षु या भिक्षुणी यदि ऐसी औषधियों को जाने कि वे अखण्डित नहीं हैं, विनष्टयोनि हैं, उनके दो या दो से अधिक टुकड़े हुए हैं, उनका तिरछा छेदन हुआ है, वे जीवरहित (प्रासुक) हैं, कच्ची फली अचित्त हो गयी हैं, टुकड़े किये हुए हैं या अग्नि में भुंजी हुई हैं, तो देखकर उन्हें प्रासुक एवं एषणीय समझकर ग्रहण कर ले।
CENSURE OF ACCEPTING SEED-GRAINS
2. A bhikshu (male ascetic) or bhikshuni (female ascetic) who has entered a house of a layman should find out about aushadhis (seed-grains) if those grains are still intact, have undamaged capacity to germinate, have not been broken into two or more pieces, have not been laterally pierced, are not lifeless, are in the form of fresh beans that are alive, unbroken and uncooked; if yes
आचारांग सूत्र (भाग २)
( १० )
Acharanga Sutra (Part 2)
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