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householder ! Please do not do that. I am not allowed to accept such cloth.
Even after this warning by the ascetic if the householder proceeds to remove vegetables from that cloth before offering it, the ascetic should refuse to take it considering it to be faulty and unacceptable.
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वस्त्र-ग्रहण-पूर्व प्रतिलेखना विधान
२२४. सिया से परो णेत्ता वत्थं निसिरेज्जा, से पुव्वामेव आलोएज्जा-आउसो ! ति वा, भइणी ! ति वा, तुमं चेव णं संतयं वत्थं अंतोअंतेण पडिलेहिज्जिस्सामि। केवली बूया-आयाणमेयं। वत्थंतेण बद्धे सिया कुंडले वा गुणे वा हिरण्णे वा सुवण्णे वा मणी वा जाव रयणावली वा पाणे वा बीए वा हरिए वा। अह भिक्खूणं पुव्वोवदिट्ठा ४ जं पुव्वामेव वत्थं अंतोअंतेण पहिलेहेज्जा।
२२४. यदि गृह-स्वामी (घर से वस्त्र लाकर) साधु को दे, तो वह पहले ही उससे कह दे-"आयुष्मन् गृहस्थ या बहन ! तुम्हारे इस वस्त्र को मैं अन्दर-बाहर चारों ओर से खोलकर देखूगा, क्योंकि केवली भगवान ने कहा है-'वस्त्र को प्रतिलेखना किये बिना लेना कर्मबन्धन का कारण है।' कदाचित् उस वस्त्र के किनारे पर कुछ बँधा हो, कोई कुण्डल बँधा हो या धागा, चाँदी, सोना, मणिरत्न यावत् रत्नों की माला बँधी हो या कोई प्राणी, बीज या हरी वनस्पति बँधी हो। इसीलिए भिक्षुओं के लिए तीर्थंकर आदि आप्त-पुरुषों ने उपदेश/निर्देश किया है कि वस्त्र-ग्रहण से पहले ही उस वस्त्र की अन्दर-बाहर चारों ओर से प्रतिलेखना करके ग्रहण करना चाहिए।" ।
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PROCEDURE OF INSPECTING CLOTHES BEFORE TAKING
224. If the donor (brings the cloth from his house) and offers it, the ascetic should at once tell—"Long lived brother or sister ! I will unfold this cloth and inspect it properly from all sides because the Omniscient has said that 'to take a cloth without inspection is a cause of bondage of karmas.' There is a chance that something is tied at the end of the cloth, may be an earring, thread, silver, gold, gems or gem-string or even some living being, seeds or green vegetable. Therefore Tirthankars and other
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आचारांग सूत्र (भाग २)
( ३३० )
Acharanga Sutra (Part 2)
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