________________
(3) inspired by deceit, (4) inspired by greed, (5) harsh language with or without awareness of fault of others, and (6) language conveying absolute certainty about past, present and future. One should never use language conveying absolute certainty about things one is not certain about.
षोडष वचन एवं संयत भाषा-प्रयोग
१८१. अणुवीयि णिट्ठाभासी समियाए संजए भासं भासेज्जा, तं जहा
एगवयणं १, दुवयणं २, बहुवयणं ३, इत्थीवयणं ४, पुरिसवयणं ५, णपुंसगवयण ६, अज्झत्थवयणं ७, उवणीयवयणं ८, अवणीयवयणं ९, उवणीय-अवणीयवयणं १0, अवणीय-उवणीयवयणं ११, तीयवयणं १२, पडुप्पण्णवयणं १३, अणागयवयणं १४, पच्चक्खवयणं १५, परोक्खवयणं १६।
से एगवयणं वदिस्सामीति एगवयणं वदेज्जा, जाव परोक्खवयणं वदिस्सामीति परोक्खवयणं वदेज्जा। इत्थी वेस, पुरिसो वेस, णपुंसगं वेस, एवं वा चेयं, अण्णं वा चेयं, अणुवीयि णिट्ठाभासी समियाए संजए भासं भासेज्जा।
१८१. भाषासमिति से युक्त संयमी साधु-साध्वी विवेक तथा संयमपूर्वक भाषा का प्रयोग करे।
जैसे कि (ये १६ प्रकार के वचन हैं-) (१) एकवचन, (२) द्विवचन, (३) बहुवचन, (४) स्त्रीलिंग-वचन, (५) पुल्लिंग वचन, (६) नपुंसक वचन, (७) अध्यात्म वचन, (८) उपनीत-(प्रशंसात्मक) वचन; (९) अपनीत-(निन्दात्मक) वचन, (१०) उपनीताऽपनीत-(प्रशंसापूर्वक निन्दा) वचन, (११) अपनीतोपनीत-(निन्दापूर्वक प्रशंसा) वचन, (१२) अतीत काल सम्बन्धी वचन, (१३) वर्तमान काल सम्बन्धी वचन, (१४) अनागत काल सम्बन्धी वचन, (१५) प्रत्यक्ष वचन और (१६) परोक्ष वचन।
यदि उसे 'एकवचन' बोलना हो तो वह एकवचन ही बोले, यावत् परोक्ष वचन पर्यन्त जिस किसी वचन को बोलना हो, तो उसी वचन का प्रयोग करे। यह स्त्री है, यह पुरुष है, यह नपुंसक है, यह वही है या यह कोई अन्य है, इस प्रकार जब विचार करके निश्चय कर लेवे तभी भाषा-सम्बन्धी दोषों को टालकर संयत भाषा में बोले।
स
PRON
88..
भाषाजात : चतुर्थ अध्ययन
( २८१ )
Bhashajata : Fourth Chapter
pritSHEORY
Jain Education International
For Private & Personal Use Only
www.jainelibrary.org