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The commentator (Vritti) has given an example of troubles faced while wandering through a disturbed area—The prince of Shravasti was once wandering alone through such desolate area. The police of the state took him to be a spy and arrested. Rustics tied him and tortured him by stinging with darbh-grass having sharp and pointed tip. (Uttaradhyayan Sutra Tika, Ch. 2)
विशेष शब्दों के अर्थ-उद्धटु-पैर को उठाकर। साहटु-पैर को सिकोड़कर, आगे के भाग को उठाकर एड़ी से चले। वितिरिच्छं कटु-पैर को तिरछा करके चले या दूसरा मार्ग हो तो उसी मार्ग से जाए। दुप्पण्णवणिज्जाणि-दुःख से धर्मबोध दिया जा सके और अनार्य-आचार छुड़ाया जा सके, ऐसे लोगों के स्थान। अकालपडिबोहीणि-कुसमय में जागने वाले लोगों के स्थान। अरायाणि-जहाँ का राजा मर गया है या कोई राजा नहीं है। युवरायाणि-जब तक राज्याभिषेक न किया जाए, तब तक वह युवराज कहलाता है। वेरज्जाणि-शत्रु राजा ने आकर जिस राज्य को हड़प लिया है, वह वैर-राज्य है। विरुद्धरज्जाणि-जहाँ का राजा धर्म और साधुओं आदि का विरोधी है। विहं-कई दिनों में पार किया जा सके, ऐसा अटवी मार्ग। (चूर्णि)
Technical Terms : Uddhattu—lifting toes. Sahattu—to walk on heel bringing feet together. Vitirichham kattu-to walk with slanted legs or to take alternative path if available. Duppannavanijjani-places of people difficult to be made civilized by preaching religion. Akalapadibohini-places of people who are awake at odd hours. Arayani-place without a king. Yuvarayani-place with a minor ruler; an uncrowned ruler is called yuvaraj. Verajjani—a kingdom conquered by a hostile king. Viruddharajjani—a state where the king is against religion and ascetics. Viham-a desolate terrain which takes many days to cross. (Churni) नौकारोहण-विधि
१३७. से भिक्खू वा २ गामाणुगामं दूइज्जेज्जा, अंतरा से नावासंतारिमे उदए सिया, से जं पुण नावं जाणेज्जा-असंजए भिक्खुपडियाए किणेज्ज वा, पामिच्चेज्ज वा, नावाए वा नावपरिणामं कटु, थलाओ या नावं जलंसि ओगाहेज्जा, जलाओ वा नावं थलंसि उक्कसेज्जा पुण्णं वा णावं उस्सिंचेज्जा, सण्णं वा नावं उप्पीलावेज्जा, तहप्पगारं नावं उड्ढगामिणिं वा अहेगामिणिं वा तिरियगामिणिं वा परं जोयणमेराए अद्धजोयणमेराए वा अप्पतरे वा भुज्जतरे वा णो दुरूहेज्जा गमणाए।
ईर्या : तृतीय अध्ययन
( २३९ )
Irya : Third Chapter
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