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HR.645 date Hasiassissicolasiassassic.
apply oil, butter or fat on each other's body. If it is so, it is not proper for a wise ascetic to enter and leave that house. Such house is unsuitable for his discourse (etc.) as well.
११५. से भिक्खू वा २ से जं पुण उवस्सयं जाणेज्जा, इह खलु गाहावइ वा जाव कम्मकरीओ वा अण्णमण्णस्स गायं सिणाणेण वा कक्केण वा लोद्धेण वा वण्णेण वा चुण्णेण वा पउमेण वा आघसंति वा पघंसंति वा उव्वलेंति वा उव्वटेंति वा, णो पण्णस्स णिक्खमण पवेसे जाव णो ठाणं वा ३ चेइज्जा।
११५. साधु या साध्वी ऐसे उपाश्रय को जाने जहाँ गृह-स्वामी यावत् उसकी नौकरानियाँ परस्पर एक-दूसरे के शरीर को स्नान के पानी से, कर्क से, लोध से, वर्णद्रव्य से, चूर्ण से, पद्म से मलती हों, रगड़ती हों, मैल उतारती हों तथा उबटन करती हों; वहाँ साधु आना-जाना एवं वाचनादि कार्य नहीं करे।
115. A bhikshu or bhikshuni should find if in the available upashraya its owner, his wife, servants etc. (habitually) massage, rub, brush and anoint each other's body with water, aromatic pastes, herbs, pigments, powder or lotus, to remove dirt. If it is so, it is not proper for a wise ascetic to enter and leave that house. Such house is unsuitable for his discourse (etc.) as well.
११६. से भिक्खू वा २ से जं पुण उवस्सयं जाणेज्जा, इह खलु गाहावइ वा जाव कम्मकरीओ वा अण्णमण्णस्स गायं सीतोदगवियडेण वा उसिणोदगवियडेण वा उच्छोलेंति वा पहोवेंति वा सिंचंति वा सिणायंति वा, णो पण्णस्स जाव णो ठाणं वा २ चेइज्जा ।
११६. भिक्षु या भिक्षुणी ऐसा उपाश्रय जाने कि जहाँ गृह-स्वामी यावत् नौकरानियाँ परस्पर एक-दूसरे के शरीर पर शीतल जल से या उष्ण जल से छींटे मारती हों, धोती हों, सींचती हों या स्नान कराती हों, ऐसा स्थान प्राज्ञ साधु को आवागमन तथा स्वाध्याय के लिए उपयुक्त नहीं है। ____116. A bhikshu or bhikshuni should find if in the available upashraya its owner, his wife, servants etc. (habitually) sprinkle or pour cold or hot water on each other's body and wash or bathe each other's body with cold or hot water. If it is so, it is not आचारांग सूत्र (भाग २)
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Acharanga Sutra (Part 2)
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