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| चित्र परिचय ४
Illustration No. 4
स्थान-एषणा : उपाश्रय-विवेक (१) जो मकान एक स्तम्भ पर टिका हो, जिस पर चढ़ने या जाने-आने का मार्ग विशेष घुमावदार
हो।
(२) जो किसी मंच पर स्थित हो, जहाँ चढ़ने-उतरने में गिरने की या जीव-विराधना की संभावना
हो। (सूत्र ८५) जिस स्थान पर स्त्रियाँ, बालक आदि रहते हों, अथवा पशु-पक्षी बँधे रहते हों, गृहस्थ भोजन
आदि बनाते हों। (सूत्र ८६) (४) जिस स्थान पर गृहस्थ की पुत्रियाँ, पुत्रवधुएँ या नौकर-नौकरानियाँ स्नान आदि करती हों,
भोजन पकाती हों, शृंगार प्रसाधन करती हों या परस्पर झगड़ती हों, कलह करती हों। (सूत्र ८८) इस प्रकार के स्त्री, पशु सहित उपाश्रय में भिक्षु को ध्यान, स्वाध्याय, कायोत्सर्ग, निवास आदि नहीं करना चाहिए।
-अध्ययन २, सूत्र ८५-८८, पृ. १७४
EXPLORATION OF PLACE :
PRUDENCE ABOUT UPASHRAYA (1) A house built on a pillar and with a curving passage or stair case ___of approach. (2) A house built on a high platform where there are chances of
falling or causing harm to beings while ascending or descending.
(aphorism 85) (3) A place where women and children live; domestic animals and
birds are caged or tied. (aphorism 86) (4) A place where daughters, daughters-in-law or maids of the
householder take bath, cook, do make-up or quarrel. (aphorism 88) An ascetic should not use for his meditation, studies, kayotsarga or stay such upashraya where women and animal are living.
-Chapter 2, aphorism 85-88, p. 174
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