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who takes the food says—“If nothing prevents me I will certainly bring it back.” But the greedy ascetic eats that food instead of giving it to the sick. Such ascetic is deceitful. Therefore, one should sincerely avoid the said causes of bondage of karma and indulge in truthful behaviour stating the fact as it were.
विवेचन-प्रस्तुत दोनों सूत्रों में रोगी साधुओं की आहार सम्बन्धी परिचर्या पर विशेष ध्यान दिया गया है। क्योंकि रुग्ण व्यक्ति की परिचर्या में, औषध जितनी महत्त्वपूर्ण है, उतना ही महत्त्वपूर्ण है पथ्य-भोजन। पथ्य-भोजन नहीं मिलने से रोगी साधु के चित्त में विक्षेप व असमाधि उत्पन्न हो सकती है। अतः इस सामान्य-सी प्रतीत होने वाली बात को शास्त्रकार ने बड़ी गम्भीरता से लिया है और उस विषय में सेवा करने वाले मुनियों को स्वाद-लोलुप होकर उनके साथ किसी प्रकार का कपट व्यवहार नहीं करके सरल, सहज व्यवहार करने का निर्देश दिया है। इस प्रकार के कपट व्यवहार से स्वयं की आत्मा तो कलुषित होती ही है। रोगी की चित्त समाधि भी भंग होती है और अन्तरायकर्म का बंध होता है। (हिन्दी टीका, पृ. ९४३)
Elaboration--In these two aphorisms special stress has been given to the care of the ailing ascetic with regard to his food. In the care of the sick, proper food is as important as medicine. If he does not get proper food the sick ascetic may get disturbed and angry. Therefore the author has given a serious thought to this seemingly ordinary matter. The ascetics who nurse the sick have been instructed to be sincere and avoid deceit inspired by their cravings for food. Any such deceitful behaviour tarnishes his own soul. As the sick is offended this also engenders antaraya karma bondage. (Hindi Tika, p. 943)
सात प्रकार की पिण्डैषणा ____७६. अह भिक्खू जाणिज्जा सत्त पिंडेसणाओ सत्त पाणेसणाओ
(१) तत्थ खलु इमा पढमा पिंडेसणा-असंसटे हत्थे असंसढे मत्ते। तहप्पगारेण असंसटेण हत्थेण वा मत्तएण वा असणं वा ४ सयं वा णं जाएज्जा परो वा से दिज्जा, फासुयं पडिगाहिज्जा। पढमा पिंडेसणा।
(२) अहावरा दोच्चा पिंडेसणा-संसढे हत्थे संसट्टे मत्ते, तहेव दोच्चा पिंडेसणा।
७६. अब संयमी भिक्षु को सात पिण्डैषणाएँ और सात पानैषणाएँ जान लेनी चाहिएआचारांग सूत्र (भाग २)
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Acharanga Sutra (Part 2)
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