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of laymen or maths (staying place of parivrajaks) and gets the scent of food, drinks or aromatic things, he should refrain from indulging in smelling these with fondness, greed, attachment or craving and exclaiming - “Great ! How pleasant an aroma !”
विशेष शब्दों के अर्थ- मुछिए - मोह या रागग्रस्त । गिद्धे - लालची या लोभाकुल । गढिए - गृद्ध, बहुत अधिक आसक्त, बँधा हुआ । अज्झोववन्ने विषयों के अधीन हुआ ।
Technical Terms : Muchhiye (murchhit ) — with eagerness, with fondness. Giddhe (griddh) — with greed. Gadhiye (grast) — wistful, with attachment. Ajjhovavanne-with craving.
अपक्क शस्त्र अपरिणत वनस्पति आहार ग्रहण का निषेध
४६. से भिक्खू वा २ से जं पुण जाणेज्जा सालुयं वा विरालियं वा सासवणालियं वा, अण्णयरं वा तहप्पगारं आमगं असत्थपरिणयं अफासुयं लाभे संते णो पडिगाहेज्जा ।
४७. से भिक्खू वा २ से जं पुण जाणेज्जा पिप्पलिं वा पिप्पलिचुण्णं वा मिरियं वा मिरियचुण्णं वा सिंगबेरं वा सिंगबेरचुण्णं वा अण्णयरं वा तहप्पगारं आमगं असत्थपरिणयं अफासुयं लाभे संते णो पडिगाहेज्जा ।
४८. से भिक्खू वा २ से जं पुण पलंबजायं जाणेज्जा, तं जहा - अंबपलंबं वा अंबाडगपलंबं वा तालपलंबं वा झिज्झिरिपलंबं वा सुरभिपलंबं वा सल्लइपलंबं वा, अण्णयरं वा तहप्पगारं पलंबजायं आमगं असत्थपरिणयं अफासुयं अणेसणिज्जं जाव लाभे संते णो पडिगाहेज्जा ।
४६. साधु या साध्वी गृहस्थ के घर में भिक्षा के लिए प्रवेश करने पर यदि यह जाने कि वहाँ कमलकन्द, पलाशकन्द, सरसों की बाल तथा अन्य इसी प्रकार का कच्चा कन्द है, जिसको शस्त्र-परिणत नहीं हुआ है, ऐसे कन्द आदि को अप्रासुक जानकर ग्रहण न करे ।
४७. साधु या साध्वी गृहस्थ के घर में भिक्षा के लिए प्रविष्ट होने पर यह जाने कि वहाँ पिप्पली, पिप्पली का चूर्ण, मिर्च या मिर्च का चूर्ण, अदरक या अदरक का चूर्ण तथा इसी प्रकार का अन्य कोई पदार्थ या चूर्ण, जो कच्चा (हरा) और शस्त्र - परिणत नहीं है, उसे अप्राक जानकर ग्रहण न करे ।
४८. साधु या साध्वी गृहस्थ के घर में आहार के लिए प्रवेश करने पर वहाँ प्रलम्ब-फल (लटकने वाले फल ) के ये भेद जाने, जैसे कि - आम्र - प्रलम्ब - फल (आमों का
पिण्डैषणा: प्रथम अध्ययन
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Pindesana: Frist Chapter
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