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छट्टो उद्देसओ
मार्ग में पशु-पक्षियों को लाँघकर जाने का निषेध
३१. से भिक्खू वा २ जाव समाणे से जं पुण जाणेज्जा, रसेसिणो बहवे पाणा घासेसणाए संथडे संणिवइए पेहाए, तं जहा - कुक्कुडजाइयं वा सूयरजाइयं वा, अग्गपिंडंसि वा वायसा संथडा संणिवइया पेहाए, सइ परक्कमे संजया णो उज्जयं गच्छेज्जा |
छठा उद्देशक
३१. भिक्षु या भिक्षुणी आहार के लिए जा रहे हों, उस समय मार्ग में यह जाने कि रस के इच्छुक बहुत-से प्राणी आहार के लिए झुण्ड के झुण्ड एकत्रित होकर ( किसी पदार्थ पर) टूट पड़े हैं, जैसे- कुक्कुट जाति के जीव, शूकर जाति के जीव (सभी पशु-पक्षी) अथवा अग्रपिण्ड खाने के लिए कौए झुण्ड के झुण्ड टूट पड़े हैं; इन जीवों को मार्ग में आगे देखकर संयत साधु या साध्वी अन्य मार्ग के रहते सीधे उनके सम्मुख होकर न जाए।
LESSON SIX
CENSURE OF CROSSING ANIMALS AND BIRDS
31. A bhikshu or bhikshuni while going to seek alms should find if on the path he is taking, many hungry beings have flocked together and converged ( on some food); for example-cocks (and other birds), pigs (and other animals), or crows rushing for agrapind (first portion thrown for animals). Seeing such beings on the way the disciplined bhikshu or bhikshuni should avoid crossing them if there is an alternative way available.
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विवेचन-साधु-साध्वियों के लिए भिक्षार्थ जाते समय मार्ग में अपना आहार करने में जुटे हुए पशु-पक्षियों को देखकर उस मार्ग से न जाकर अन्य मार्ग से जाने का कारण यह है कि इससे - (१) एक तो उन प्राणियों के आहार में अन्तराय पड़ेगी, (२) दूसरे, वे साधु-साध्वी के निमित्त भयभीत होंगे, (३) तीसरे, वे हड़बड़ाकर उड़ेंगे या भागेंगे इसमें वायुकायिक आदि अन्य जीवों की विराधना सम्भव है, तथा (४) चौथे, उनके अन्यत्र उड़ने या भागने पर कोई क्रूर व्यक्ति उन्हें पकड़कर बन्द भी कर सकता है, मार भी सकता है । ( वृत्ति पत्र ३४० )
Elaboration-The reasons for ascetics avoiding a path where numerous beings have flocked to eat are (1) the beings will be disturbed during the process of feeding; (2) the beings will be filled
आचारांग सूत्र (भाग २)
( ७४ )
Acharanga Sutra (Part 2)
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