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पढमो उद्देसओ
प्रथम उद्देशक |
LESSON ONE
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असमनुज्ञ-विमोक्ष
२00. से बेमि-समणुण्णस्स वा असमणुण्णस्स वा असणं वा पाणं वा खाइमं वा साइमं वा वत्थं वा पडिग्गहं वा कंबलं वा पायपुंछणं वा णो पाएज्जा, णो णिमंतेज्जा, णो कुज्जा वेयावडियं। परं आढायमाणे त्ति बेमि।
धुवं चेयं जाणेज्जा-असणं वा जाव पायपुंछणं वा, लभिय णो लभिय, भुंजिय णो भुंजिय, पंथं विउत्ता विउक्कम्म, विभत्तं धम्मं झोसेमाणे समेमाणे वलेमाणे पाएज्ज वा, णिमंतेज्ज वा, कुज्जा वेयावडियं। परं अणाढायमाणे।
त्ति बेमि।
२00. मैं कहता हूँ-(श्रमण-) समनुज्ञ या असमनुज्ञ श्रमण को अशन, पान, खाद्य, स्वाद्य, वस्त्र, पात्र, कंबल या पादपोंछन आदरपूर्वक न दे, न देने के लिए निमंत्रित करे, और न उनका वैयावृत्य (सेवा) करे।
कदाचित् असमनुज्ञ भिक्षु (मुनि) से कहे-“(मुनिवर !) तुम इस बात को अच्छी प्रकार जान लो-(हमारे मठ आदि में) अशन, पान, खाद्य, स्वाद्य, वस्त्र, पात्र, कम्बल या पादपोंछन मिलता है। तुम्हें ये प्राप्त हुए हों या न हुए हों, तुमने भोजन कर लिया हो या न किया हो, मार्ग सीधा हो या टेढ़ा हो; हमसे भिन्न धर्म का पालन (आचरण) करते हुए भी तुम यहाँ अवश्य आओ और जाओ।" (यह बात) वह (उपाश्रय-धर्म-स्थान में) आकर कहता हो या (रास्ते में) चलते हुए कहता हो, अथवा उपाश्रय में आकर या मार्ग में चलते हुए वह अशन, पान आदि देता हो, उनके लिए निमन्त्रित (मनुहार) करता हो, या (किसी प्रकार का) वैयावृत्य करता हो, तो मुनि उसकी बात की बिलकुल उपेक्षा (अनादर) करता हुआ मौन रहे। ___ -ऐसा मैं कहता हूँ। AVOIDING REVISIONISTS
200. I say—(A Shraman-) should not give or offer to give respectfully, things like ashan (staple food like wheat, rice, pulses, etc.), paan (liquids like water, juice, etc.), khadya (general food such as fruits and all other eatables), svadya (savoury food prepared with additives like cardamom, clove, आचारांग सूत्र
( ३७० )
Illustrated Acharanga Sutra
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