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________________ PURCHASED FOR GOVERNMENT. 53 No. 649. Sudarsanacharitam, by DEVEKDRAGANI [सुदर्शनचरितम्-देवेन्द्रगाणिः]. Begins : ओं नमः । श्रीसुव्रतजिनेन्द्राय । वंदितु - - - जिणं सुंदरि सण्णाए पुरं मिलरुयत्थं । जह - - लियाविहारो कराविउ किंपि तह वुत्तं ॥ १ ॥ जहतीइ पढमजम्मे विजयाखयरि इमारित्रमप्पो । जह मासंति जिणगिहपूयं ददुं पुल इयं गा ॥२॥ पत्तासुबो हि बीयं वेयावच्चं चकाश समणीणं । हरि ऊचने उरं नहभरू यत्थे सवलिया जाया ॥ ३ ॥ जहबाण हया नवकारमरण उसिहले - र -- आ । उप्पन्ना जाइसराज हनरुय-मिस्सं यत्ता ॥ ४ ॥ अस्सावबोहतित्थे कारीविउ अवत्विया विहारवरं । विहियाण अणापत्ता जह-साणे तह कहेमि ॥ ५ ॥ इयं सुयण कमल बोहण रविच्च सुकहां आदि द्वदो मेयं । अकलं कियानय ससह रुध्व सध्यणमणाणं ॥ ६ ॥ Ends: इय सुंदरि सण कहाए नवनव संवेग सिरिधरनिहाए । मूलादि द्वये बंधप्यरूवगोसोळसुद्दोसो ॥ ४५ ॥ सोलग्न इबुद्धे सा अहिगारा हुति अह अच्छस्स । गाहाणं सव्वगां चतुरोसहसा दुवन्नजुथा ॥ ४५ ॥ अहिगारो घणपालो १ सुदंसण २ विनयकुमार ३ सीलमई ४ । अस्सावबोह ५ भाया ६ धाईसु ७ धाविइय अद्ध ॥ ४६॥ इत्थ यजमिहुस्सुत्तं वुत्तं महतस्स हुक्कडं मित्था । पेसि उण परहियरया बहुस्सु यातं विसोहंतु ॥ ४७ ॥ नवनवगमसंगमचंगभागमो जयतु वीरजिणनाहो ॥ ४० ॥
SR No.007583
Book TitleOperation In Search of Sanskrit Manuscripts in Mumbai Circle 6
Original Sutra AuthorN/A
AuthorP Piterson
PublisherRoyal Asiatic Society
Publication Year1899
Total Pages179
LanguageEnglish
ClassificationBook_English & Catalogue
File Size9 MB
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