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________________ [२८] संस्कृत भाषामें योगका वर्णन होनेसे सर्व साधारणकी जिज्ञासाको शान्त न देख कर लोकभापाके योगियोंने भी अपनी अपनी जबानमें योगका अलाप करना शुरु कर दिया। ___महाराष्ट्रीय भाषामें गीताकी ज्ञानदेवकृत ज्ञानेश्वरी टीका प्रसिद्ध है, जिसके छठे अध्यायका भाग वडा ही हृदयहारी है। निःसन्देह ज्ञानेश्वरी द्वारा ज्ञानदेवने अपने अनुभव और वाणीको अवन्ध्य कर दिया है। सुहीरोवा अंविये रचित नाथसम्प्रदायानुसारी सिद्धान्तसंहिता भी योगके जिज्ञासुओंके लिये देखनेकी वस्तु है। कबीरका बीजक ग्रन्थ योगसम्बन्धी भाषासाहित्यका एक सुन्दर मणका है। अन्य योगी सन्तोंने भी भापामें अपने अपने योगानुभवकी प्रसादी लोगोंको चखाई है, जिससे जनताका बहुत बडा भाग योगके नाम मात्रसे मुग्ध बन जाता है। अत एव हिन्दी, गुजराती, मराठी, बंगला आदि । प्रसिद्ध प्रत्येक प्रान्तीय भाषामें पातञ्जल योगशास्त्रका अनुवाद तथा विवेचन आदि अनेक छोटे बडे ग्रन्थ वन गये हैं। अंग्रेजी आदि विदेशीय भाषामें भी योगशास्त्रपर अनुवाद आदि बहुत कुछ बन गया है, जिसमें वूडका भाष्यटीका सहित मूल पातञ्जल योगशास्त्रका अनुवाद ही विशिष्ट है। १.प्रो० राजेन्द्रलाल मित्र, स्वामी विवेकानंद, श्रीयुत् रामप्रसाद श्रादि कृत
SR No.007442
Book TitleYogdarshan
Original Sutra AuthorN/A
AuthorSukhlal Sanghavi
PublisherSukhlal Sanghavi
Publication Year
Total Pages232
LanguageSanskrit, Hindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size8 MB
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