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उ टोका
* गवतारिष्ट सत्रिभा गवलञ्च अरिष्टकञ्च गवलारिष्टके साभ्यां सबिभा गवलारिष्टक सबिभा गबलं माहिषं शृत अरिष्टं अरिष्टफलं अरिष्टरनवा ताभ्यां ३४४ सहयौ पुनः कोहयौ खञ्चांजन नयन निभा ख च्चनच्च नयनञ्च खचाजननयनानिनिभा खचाजन नयम निभाखन शकट चक्रान्तर्गस लोहनी
परि हतासिक्त गणादि बधनश्यामी भूतं अननं कज्जलं नयनं नेत्रकनौनिकातेनिभा सदृशौ ४ अथ नौल लेश्याया वर्णनमाह [ नौला सोकसंकासा : चासपिच्छ समप्यभावेरुलिय निहसंकासा नौललेसाप्रोवस्यो ५] तु पुनील लेश्या वर्णत ईदृशौ भवति कीदृशौ नौलाचासौ अशोकच नौला थोक % स्तेन संकाया सदृशौ नौला भोकसंकाया अशोकक्षो रतीपि भवति तावच्छेदार्थ नौलपदं पुनः कीदृशी चापपिच्छ समप्रभा पुनः कीदृशी स्निग्ध वैड्र्य संकाया जात्य मौलमणि सदृशौ ५ अथ कापोतवर्ण माह (अयसौ पुष्फसंकासा कोइलच्छ दसनिभा पारावयगौ वनिभा काउलेसा ओवनी) कापोतलेल्या वर्णत ईदृशौ भवति ईदृशौ कौदृशो अतसी धान्य विशेषस्तस्य पुष्प अतसीपुष्य' तेन सकाथा पतसौपुष्य सकाशा पुनः कौशौ कोकि
गसन्निमा। खंजं जण नयण निमा किन्ह लसाओ बन्नओ ४॥ नौला सोग संकासा चास पिच्छ सम प्पभा। बैरुलिय
निह संकासा नौल लेसाओ वन्नो ५॥ अयसीपुप्फ संकासा कोइल छद सन्निभा। पारवय गौव निभा काउ सौंग परौठाना फल अथवा द्रोणकाक सरिखो खज गाडलाउं गणम अंजन काजल नेखनौकीको सरिखौ कृष्ण लेस्था वर्मथको एहवी कहे हुवे ४
नौलो अशोक वृक्ष ते सरिखी नौल चांसना ख सरिखी बैड रत्न सरीषी तेज ते सरौखौ नौल लेश्यानोवा एहवी हवे ५ अलसौना फूल सरिखौ * कोयल पंखीनी पांख सरिखौ पारेवानी कोटि सरीखी कापोतलेल्या काई कालो रातीका एहवी वर्ष धको इड६ हिंगुलु पाषाणधातु सरीखी
राय धनपतसिंह बाहादुर का मा.सं.उ. ४१मा भाग
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