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________________ अ.भाषा अ०१. देह रचा कौधौ चमरेन्द्र इम महाशिलाकण्टक रथ मुशलरणने बिषे दीधा महायुद्ध हुआ एक कोडि अशी लाख पद्या वली सौईते गाबाई पिण इम कहेछ कोणिकय चेडरयो रणं मिकणवेलक्व मणयाणं चमरेण निमाहया वौयदिणे लक्खचलसौयार एग सहस्म सुरो विउदिडी मणमहा विदेहमि दस ४ सहस्म मच्छलोए मेसाओ नरयतिरिएम २ एहयो युद्ध धयो तो पिणविशाला नगरी कोणिक ले न सक्यो श्रीमुनिसुव्रतस्वामीना स्तंभनी महिमा करने तिवारे कोणिक उचाटवान थयो धणेकाले भवितव्यना वस थको आकाशवाणी थई यतः समणे जह कुलवालुए मागहियंगणियं गमिस्मए राया असोग चंदए विसाला नगरि गहिस्मए जी कुलवाली साधु मागधिका गणिका साथ रमै तो अशोकचंद कोणिक राजा विशाला लेशी एहवी आकाशवाणी * साभली कुलवालुनी खबर करावो नदी तटे रयो जाणो मागधिका गणिका तेडावोने कह्यो अहो गणिका कुलवालुपी साधु दहा आणीयो जाइए + वेश्याये कह्यो हां महाराज पाणइम कहो वोडो कोलो झालोकपटो श्रावकणि थई रथ वेसोनेगइ तिहां जे वांदीकूलवालुप्रत ते गणिका कहिवा लागी * अम् श्राविका जात्राये नोक त्यांचा जिहां देव हुई गुरु हुइ तौहां वांदी वहिरावौ जौमुकु तुमने इहां साभल्या ते भणौ अम्हें आया हिवे तुम्हे अनुग्रह मया करो मुझतो भातपाणी वहिरी एहवो कही घणे आग्रहे नेपाला मिश्रौत मोदक दौधो लेण साधे लौधा साधुने अतौसार हुवो घणो कष्ट पद्यो तिणे वेश्याये धोवा पखालवा रूपवेयावच्च करौ लाजलोपावौ ओषधे करौ साजो कौधो तिवारे कहिवा लागो अहोवेश्या तुं काईक मांग वेस्यांये कह्यो मुझ साथै आवो राजा कोणिक कड़े तिहां थको सेझवाला मांहि घालौ वेश्याए कुलवालुओ कोणिक कथै ल्याइ कोणिक वोलाव्यो अहो कूलवालु आजिम विधालानगरी लेवराये तिमकरोतिवार विहांधकी कूलवालुओ विशालानगरी माहिज निमत्तीयानो वेसकरौभमतेषके जो यो जे नगरकीम नही भांजतो जान वले जाण्यो ए मुनि सुव्रत स्वामी स्त'भनी महिमाइ नगरी नथी भांजती तेहवे नगर लोक निमत्तीयो देखी पूच्ची अहो निमत्तिया राय धनपतसिंघ बाहादुर का प्रा० सं० उ०४१ मा भाग
SR No.007381
Book TitleAgam 43 Mool 04 Uttaradhyayan Sutra Shwetambar
Original Sutra AuthorN/A
AuthorRai Dhanpatsinh Bahadur
PublisherRai Dhanpatsinh Bahadur
Publication Year1879
Total Pages1112
LanguageSanskrit
ClassificationBook_Devnagari, Agam, Canon, Conduct, F000, F999, & agam_uttaradhyayan
File Size32 MB
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