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________________ उ.टोका १०८३ सागरासत्तवोसई २४०) पञ्चमवेयके सप्तविंशति सागरोपमानि उत्कृष्टा आयुःस्थि तिर्जघनान षट्विंशति सागरोपमानि२४० [सागराअट्ठवीसन्तुउक्को मेणठिईभवेछटुंमियजहब्रेणंसागरासत्तवौसई२४१] षष्टेगवेयके उत्कृष्टेन अष्टाविंशतिसागरोपमानि आयुःस्थितिघनानसप्तविंशतिसागरोपमाणि२४१ (सागरा अउणतीसंतु० २४२) सप्तमे वेयके उत्क्वष्टा एकोनविंशत्मागरोपमानि आयुः स्थि तिर्भवेत् जघनातः अष्टाविंशति सागरोपमानि२४२ (तीसंतु सागराई उक्कोमेण ठिई भवे अट्टमम्मि जहन्ने मागरा अउणवीसई २४३ ) अष्टमे वेयकेत्रिशत्मागरोपमानि उत्कृष्टा आयुःस्थितिर्भवेत् जघनातस्तु एकोनत्रिशत्मागरोपमानि २४३ [सागरा एकवीसन्तु उक्कोसेण ठिई भवे नवमं मिजहन्ने ण तोसई सागरीवमा २४ ४] नवमग्रे वैयके एकत्रिंशसागरोप नेणं सागरा पणवीसई २३६ ॥ सागरा सत्तवीसंतु उक्कोसेण ठिई भवे | पंचमंमि जहन्ने णं सागरा छवीसई २४० ॥ सागरा अट्ठवीसंतु उक्कोसण ठिई भये। छट्टमि जहन्ने णं सागरा सत्तवीसई २४१ ॥ सागरा अउणतीसंतु उक्कोसण ठिई मवे । सत्तमंमि जहन्ने णं सागरा अहवौसई २४२ ॥ तीसंतु सागराई उक्कोसण ठिई भवे। अट्टमम्मि जहन्ने सागरा अउणतीसई २४३ ॥ सागरा एक्कतीसंतु उक्कोसण ठिई भवे । नवमम्मि जहन्ना तौसई सागरोवमा २४४॥ यके जघना सागरोपम पचवीस २३८ सागरोपम सत्तावीसनी उत्कृष्टौ स्थिति हुवे पांचमे वेयकने बिखे देवतानी जघना सागरोपम छावोस २४० सागरोपनौ अट्ठावीस उत्कष्टो स्थिति हुई छठे वेके जघना सागरोपम सत्तावीस २४१ सागरोपम उगणत्रीस उत्कष्टी स्थिति हुई सातमे ग्रेवे * यके जघना सागरोपम अट्ठावीस २४२ बीस सागरोपम उत्कृष्टौ स्थिति हुई आठमाग्रे वेयकने बिखे जघना सागरीपम उगाचीस २४३ सागरोपम राय धनपतसिंह बाहादुर का पा०सं०७०४१ मा भाग सूत्र भाषा
SR No.007381
Book TitleAgam 43 Mool 04 Uttaradhyayan Sutra Shwetambar
Original Sutra AuthorN/A
AuthorRai Dhanpatsinh Bahadur
PublisherRai Dhanpatsinh Bahadur
Publication Year1879
Total Pages1112
LanguageSanskrit
ClassificationBook_Devnagari, Agam, Canon, Conduct, F000, F999, & agam_uttaradhyayan
File Size32 MB
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