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उ.टौका
याएए गहाएवमाइओ लोगस्म एगदेसन्मिते सब्वे परिकित्तिया १५०) इति अमुना प्रकारेण एतेचतुरिट्रियाएवमादिका अनेकधाः सन्ति ते सर्वे चतुरिंद्रियालोकस्य चतुर्दशरज्वात्मलोकस्यैकदेशेपरिकीर्तिता १५. [सन्तईपप्पणाझ्या अपज्जवसियाविय ठिई पडु नसाइया सपज्जवसियाविय १५१] सन्ततिं प्राप्यते जोवा अनादय स्तथा अपर्यवसिताश्चापि भवस्थितिं कायस्थितिं प्रतोत्यसादयः सपर्यवसिताः अपिसन्ति १५१ [छच्चे वय मासाऊ उक्कोसेण वियाहिया चउरिन्दिय आउठिई अन्तीमुहुक्तं जहबिया १५२ ] चउरिन्द्रियाणां उत्कृष्टा षण्मासा आयुः स्थिति र्व्याख्याता जधन्धिकाचान्त, इत्त स्थिति ाख्याता १५२ भवस्थिति उक्ताकायस्थिति माह [संखेज्जकालमुक्कोसं अन्तीमुडुत्त जहनिया चउरिदियकायठिई तं कायं तु अमुञ्चओ १५३] चतुरिन्द्रियाणां व कार्य अमुच्चतां पुनः पुनस्तत्र वोत्पद्यमानानां संख्ये यकालं उत्कृष्टास्थिति रस्ति जपन्यिका च अन्तम इत
मोहए अस्थि रोडए बिचित्त चित्तपत्तए। उहिं जलिया जलकारिय नीयातंतब गाईया १४६॥ दूदू चउरिंदिया एए ___ोगहा एब माओ। लोगस्म एग देसंमि ते सब्बे परिकित्तिया १५० । संतपय णाईया अपज्जव सियाविय । ठि
पड़च्च साईया सपज्जबसियाबिय १५१ ॥ छच्चे वय मासाउ उक्कोसण वियाहिया। चउरिदिय आउ ठिदू अतोन हुत्तं जीव भोहिंजलियाजीव जलकारौजीवनौयाजीव जाणवा तंबगजीव एलोकरूठि १४८ इण प्रकारे चौरिंदौजीव अनेकघणे प्रकार एवमादिक लोक चौद राजना एकदेशने भागे ते सघला कह्या तीर्थकर १४८ संतति प्रवाहे अनादि अपर्यवसित अनंतपणि थिति आधी आदि सहित अने अंतपण १५० कमासनी उतकृष्टौ स्थित कही तीर्थ कर देवे चउरिंद्री जीवनी पाउखानौस्थित अंतमहतं जघनास्थीती आउखो १५१ संख्याता कालनी उत्कृष्टी
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राय धनपतसिंह बाहादुर का पा.सं.उ.४१ मा भाग
भाषा