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________________ पत्राक पत्राक विपय और प्रश्नादि विपय और प्रश्नादि हिर, मनुष्य दोन है , व्यन्तर जोतिपी वैमा प्रणतरागयाहार इह गाथा २ निक जैसे नारकी, नारकी देशावधि है, एघ नारकी अणतराहार है इत्यादि यक्तव्यता याव स्तनितकुमार पर्यन्त , पचेद्रिय तियच मी एव, त २१ दहक मे ७७१ मनुष्य दान । ध्यन्तर जातिपी वैमानिक जैसे नारफी का माहार ग्रामोगनिवर्तित है क अनारकी । नारफी का अयधि आनुगामिक अ नामोगनिर्यत्तित हस्यादि वक्तव्यता ७७५ प्रतिपाप्ती अवस्थित है। एवं स्तनितकुमार नारकी जिन पुनलों का आहारपणे ले उनको पर्यन्त । ७७२ जाणे देखें इत्यादि निर्णय ७७६ पद्रिय तिर्यंच का मानुगामी मी यापत् अत्र नारकी को असख्यास अध्यवसान , प्रशस्त मी स्थित मी है , एष मनुष्य भी , वानव्यन्तर अमस्त मी वैमानिक कोमीह ७७७ बोसिपी वैमानिक जैस नारकी ७७३ | नारकी सम्पकामिगमी मिथ्यात्वाभिगमी सम्य- .. (३३ वा पद पूर्ण हुभा) | अमिथ्यात्वामिगमी मी हे, एवमीनिक पर्यत एकेद्रिय विफलंद्रियामध्यात्वाभिगमी ही ॥ ३१ या पेवर कहते देवता सदेवकि सपरिवार है इत्यादि । मग + CAR
SR No.007380
Book TitleAgam 24 to 33 Das Prakirnak Sutra Shwetambar
Original Sutra AuthorN/A
AuthorRai Dhanpatsinh Bahadur
PublisherRai Dhanpatsinh Bahadur
Publication Year1886
Total Pages388
LanguageSanskrit
ClassificationBook_Devnagari, Agam, Canon, & Conduct
File Size8 MB
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