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विपय भोर प्रश्नादि
पत्राक विपय और प्रश्नादि
पत्रांक ॥३२ कहते हैं।
। उत्कृष्ट चार जाणे, शकरा का जघन्य तीन जीप सयत के यसयत के सयतासयत, एव ना उस्कृष्ट साई, घाटका नारकी जघन्य वेदरकी प्रथा, यायञ्चतुरिन्द्रिय, पर्चेद्रिय सिर्यच उत्कृष्ट तीन, पकमना नारी जघन्य दो उस्कृष्ट
मनुष्य प्रश्न एवं सिकसफ ७६१ पढाइ, धमप्रना नारकी जघन्य छेद उ० दो ७६८ (३२ वा पद कहा)
तमा का नारकी क्रोश जघन्य उस्कृष्ट मेट, नीचे
सातमी का जघन्य थर्द क्रोश उत्कृष्ठ क्रोश। । ३३ कहते हैं।
असुरफुमार जघन्य २५ योजन उत्कृष्ट थरू नेद विपय सठाणे यह गाथा
ख्यात द्वीपसमुद्र, नाग जघन्य २५ उत्कृष्टयही, दो प्रकार चयघि कही नथप्रत्यय क्षायोपशामि एव स्खनितकमार पर्यन्त , पंचेंद्रिय तिर्यचज नेद से , देव नारकी को नघनत्यय, मनुष्य चन्या थंगुल संख्यात ना उसस्यात
तिर्य को छायोपशामिक द्वीपसमुदा मनुष्य थोडशसख्यातनाग जघन्य नारकी
उत्कष्ट शसंख्यात शलोक मे लोक प्रमाण खक, पनि रकी छटाई: जघन्य।
घानष्पन्तर जैसे नाग, जोतिपीजघन्य उत्कृष्ट
नारी जघन्य घरकोशाचा पाला
जाण्ग
उत्ष्ट छसख्यात शर
रिका