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________________ विपय और प्रशनादि पत्राक पत्राक विषय और प्रश्नादि कही, कायिकी २ नदें, अधिकरणकी २ नंदें, होय एव यायद्वैमानिक पर्यन्त कहना, एष ना प्रावेषिकी ३ दे, पारितापनिको ३ लेदे एवं रकी शादि के बघ का निर्णय ६३८ क्रिया निरूपणाधिकार, ६३४ जीय ज्ञानावरणी कम याधता जथा कति क्रिय जीव सक्रिय है के अक्रिय है इत्यादि छौधिक ' ७३५ है एकवचन अऊषचने वैमानिक तक| ६३९ जीय प्राणातिपात क्रिया करै, काहे स क्रै, एवं | एव श्याठ कर्म के एकवचन यावचन से १६ दमक नारकी शादि दफको मे नी कहा धैमानिक पर्यत, ६३६ कहना एव मृषावाद शवप्तादान मैथुन परिग्रह सूत्रनी जीव को जीवों से कितनी क्रिया, कदाचित् ३।। १।५। और कदाचित् श्यक्रिय, जीव को ना एय क्रोध मान माया लोन प्रेम द्वेष कलह शभ्या रकियो से कितनी पूर्ववत्, स्तनितकुमार से ख्यान पैसून्य परनिदा शरसिरति मायामृषा पृधियी से आप तेज वायु वनस्पति द्विनि प्यतु मिप्यादर्शनशल्य नी सर्व नारकी शादि वैमा रिद्रिय पद्रिय मनुष्य से जैसे जीवो से, धान निक पर्यन्त मे जैसे पर्व कहा कहना व्यन्तर जोतिषी वैमानिफ से जैसे नारकी से जीव प्राणातिपात स सप्तविघ अष्टविध बधक एकेक जोय पद में चार २ दमक | ६४१ ६४०
SR No.007380
Book TitleAgam 24 to 33 Das Prakirnak Sutra Shwetambar
Original Sutra AuthorN/A
AuthorRai Dhanpatsinh Bahadur
PublisherRai Dhanpatsinh Bahadur
Publication Year1886
Total Pages388
LanguageSanskrit
ClassificationBook_Devnagari, Agam, Canon, & Conduct
File Size8 MB
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