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मनाद
पत्राक
विषय और प्रश्नादि
पत्राक
विषय और प्रवनादि जिस्को जितनी इद्रिय है उतने की निवर्तना घगाहना कहनी, पाच प्रकार का अपाय २७ जी फहना , श्रोद्रिय निर्वनना का काल छ वक में यथोचित कहा, ईहा पाच प्रकार की सख्यात समय शन्तर्मुशर्त नी कहा, एष स्प
चौवीस दखफ में यथोषित कहना , ११३ र्शन तक, एव नारकी स वैमानिक पर्यन्त नि | अयग्रह व्यजन और अर्थ के मेद से दो प्रकार धर्तना काल कहा , पाच ने इद्रिय लब्धि क | है, घ्यजनावग्रह श्रोत्र घ्राण जिह्वा स्पर्श से ही, एवं२४वंक में जिस्को जितनी हो कहना, चार मेद है, अर्यावग्रह पाच इद्रियों का पाच
इंद्रियोपयोग फाल नी पाच प्रकार है नारफी और मन से ब प्रकार होता है उनमें से नार INE से धैमानिक पर्यन्त यथोचित कहना १११ की को २ व्यजन और अर्थ का अपग्रह है। इन थोत्र छादि पाचो इद्रियों के उपयोग ३
एव वैमानिक पर्यंत कहा १११ घेन्य उत्कृष्ठ थजघन्योस्कृष्ट में परस्पर कौन पृथिवीकाय को दो प्रकार अवग्रहः व्यक्जताव
- फिरसे योठा घणा इत्यादि ११२ ह स्पर्शनेंद्रियाका एक हा., भोयग्रह भी इंद्रियावगाहनामा प्रकार नारकी मानि ए कस्पशनही का है, एवं वनस्पति पर्यंत त जिस्को जितनी इंद्रिया हो उडी has कहाँ, एवं वीन्द्रिय को, नेद यह के म्पठजनाध
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