________________
पप्राक यिपय और प्रश्नादि
पन्नाक
विषय और प्रश्नादि सवार्थसिद्ध विमान दवोपपात विरहकार प्रमाण २९१
यया सान्तर उपजे के निरन्तर २९२ सिहापपात विरहकार प्रमाण
२९१ सौधर्म आदि देवलोक यावत् सिह सान्तर उप रत्नप्रभा आदि पविधी के नारकीमा च्यवनकाल | जे के निरन्तर, एय उद्वर्त्तनाभी सिद्धो को बोड विरहाधिकार ण्य मिठा का छाहक पननर पि
कर कहनी २९३ मान तक च्यवन काल विरहाधिकार २९१
(३ द्वार हुआ पूर्ण) (२ द्वार इप्पा पृण)
नारकी एक समय में कितने उपजे, एष ७ नरक नारकी सान्तर उपज के निरन्तर उपजै मनप्य तारमी कहे, अमुरफुमार एक समय में कित
सान्तर उपजे क निरन्तर उपज २९१ ने उपजै , एघ स्ननितकुमार पर्यन कहना २९३ देव सान्तर उपज निरन्तर, रत्नप्रभा पादि ७/ पृथिवीकाय यावद्वनस्पतिकाय एक समय मे कि पृथियी के नारकी सान्तर उपजे क निरन्तर ,
____तने उपजे २९४ अमर कुमार मान्तर उपजे फनिरन्तर , एय स्त यरिद्रिय एक समय में कितने उपजे, एव त्रींद्रिय नितम्मार पन्त रहा पूयिय यायदान चतुरिट्रिय समृच्छिम पद्रिय तिर्यच , गर्नय्यु | स्पतिमाय द्वौद्रिय यावत्पचद्रिय तियच मनुष्य स्क्रातिक पद्रिय तिर्यच , सम्मूर्छिम मनुष्य