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________________ fare और प्रनादि ॥ पचम द्वार आरम्भ ॥ योगी मनोयागीषाग्योगी काययोगी चौर योगी इनमे कौम किस्से थाना घणा इ० (पथम द्वार पूर्ण ) ॥ बघा द्वार है है ॥ पत्राक ॥ सातमा द्वार हैं है ॥ यह जीव सलेश्य क्रुघ्नलेशी नीललेशी कापोत मी तेजोपनलेशी शुक्कलेशो और अलंशी इनमें कौन किस्से थोडा और घणा इत्यादि (सातमा द्वार हुआ) १६७ जी सवेद स्त्रीषेद पुरुषवेद नपुंसक वेद और अयं । दक इनमें कौन किस्से थोळा घणा इत्यादि प्रश्न १६७ (द्वार पूर्ण हुमा ) १६८ विषय और मनूनादि ॥ आठया द्वार कहते है ॥ यह जीव सम्यग्दृष्टी मिध्यादृष्टी सम्यमिध्यादृष्टी इनमे कौन किस्से थाष्ठा घणा इत्यादि १६९ (नया द्वार हुम्पा ) ॥ दशम द्वार कहें है ॥ एष ष्यज्ञान प्रश्न निर्णय एव ज्ञान ५ व्यज्ञान ४ प्रश्न समुदाय से 1 य जीव आभिनियोधिज्ञानी श्रुतज्ञानी धिज्ञानी ममपर्ययज्ञानी केवलज्ञानी इनमें कौन किस थोडा इत्यादि । १६९ १७० १७० (१० द्वारका) ॥ ११ द्वार कहें है ॥ यह जीव चक्षुदर्शनी ष्यचक्षुवर्शनी छत्रधिदर्शनी पत्राक
SR No.007380
Book TitleAgam 24 to 33 Das Prakirnak Sutra Shwetambar
Original Sutra AuthorN/A
AuthorRai Dhanpatsinh Bahadur
PublisherRai Dhanpatsinh Bahadur
Publication Year1886
Total Pages388
LanguageSanskrit
ClassificationBook_Devnagari, Agam, Canon, & Conduct
File Size8 MB
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