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________________ रायपसयी। इण तुज्झे देवाणुप्पिया समगा भगव महावीर सिक्ख त्तो पायाहिणं पयाहिण करेइ र त्ता वदह णमसह वदित्ता नमसित्ता गोमाइयाण समणाण निग्गधाण तदिव्व देवहि देवजुई देवाणुभाव टिव्व वत्तीसद बद्ध नट्टविइ उवटसेह उवदमित्ता खिप्यामेव एवमाणत्तिय पव्वपिणइ ततेण तेवहवे देवकुमारा देवकुमारीतोय मूरियामेण देवेण एव बुत्ता समाणा इतुट्ट करयल जाव पडिमुणोति जेणेव समणे भगव महावीर तेणेव उवागच्छति २ त्ता समण भगव महावीर जाव गामसित्ता जेणेवगोवमावा समणा निग्गधा तेणेव निग्गच्छति ततेगा ते बहवे देवकुमारी देवकुमारीतोय असमासेव समोसरणकरति समासेवसमोसरणकरेत्ता समासेवपतीवध ति समासेव पताते नम मवादीत गच्छतयूय देवाना प्रिया श्रमण भगवन्त महावीर विकृत्व भादतियप्रदचिय करत करवा वन्दध्व नमस्थत वन्दित्वा नमस्थित्वा गीतमादीनां श्रमणानां निगन्यानां ता देवननप्रसिहा दिव्या देवदि दिव्या देवधुति दिव्य देवानुभाव दिव्य हानि शविध नाटयविधिमुपदर्शयत उपदश्य च पतामाताप्तिका चिप्रमेव प्रत्यर्पयता (तएण) मित्यादि । तत ते वड़वी देवकुमारा देवकुमारिकाश्च सूयाभेन देवेन एवमुक्ता मन्ती दृष्टा यावत्मनिएचन्ति अभ्युपगच्छन्तीत्यर्थ । प्रतिश्रुत्य च यत् श्रमणी भगवान महावीर स्तवापागछन्ति, उपागत्य च श्रमण भगवन्तं महा वीर विकृत्व आदक्षिणप्रदक्षिणी कुवन्ति कृत्वा च वन्दन्ते नमस्यन्ति वन्दित्वा नमसित्वा च यस्मिन्मदेश गीतमादय' श्रमणा स्तन समकालमेव एककालमेव समवसरन्ति मिलन्तीत्यर्थ । समयमृत्य व समकमेव एककालमेव अवनमन्ति अधी नीचा भवन्ति । श्रवनम्य व समकमेव जिमग्णयासाथीमाडीप्रदविण करउ करीन बदए नमस्कारकरउ वादीनद नमस्कारकरीना गोनिमादिकनद थमण निग थनद तेहप्रधान देवनीतिपरिवाररूप देवनीकाति देवनु मामथपणउ प्रधान वनीसवर नाटकविधि देपाडउ देपाडीनः गीपूजएम एच बाजाजपराठी मुझन म पट तिहारपछीतेह घणा देवकुमर देवकुमरी मूयाभर देवनः एमकवाधकी हप मतोपपाम्या चिवमाहिआग्णदाहाथजीडी मस्तकिच हुडीमूयाभनुवचनअंगीकारकरड जिहा श्रमण भगवत महावीरकडू तिहाबाद जहन श्रमण भगवत महावीरप्रति वादसूनमस्कारकरड जिहा गीतमादिक थमा निगु थछन् तिहा जादू तेह घणा देवकुमार देवकुमरीवसमुच्चपे समक्षालद समासराकर एकटामिलइ समकालपू समीसरयकरीन समकाल पंक्तिथैणिवाधइपहिथेग्यि क
SR No.007379
Book TitleAgam 13 Upang 02 Rajprashniya Sutra Shwetambar
Original Sutra AuthorN/A
AuthorRai Dhanpatsinh Bahadur
PublisherRai Dhanpatsinh Bahadur
Publication Year1917
Total Pages289
LanguageSanskrit
ClassificationBook_Devnagari, Agam, Canon, Conduct, F000, F999, & agam_rajprashniya
File Size9 MB
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