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रायपसणी।
na to da समोइणति २ त्ता सखिज्माई जोवणाद् उच्चदडनिस्सर २ ता अहास इमे दोच्चपि वे उब्वियसमग्घाएण झाव बहुसमरमणिज्म भूमिभाग विउबद से जहानामते आलिगपुक्खरैतिवा जावमणीण फामो तस्सण बहुसमरमणिज्मस्स भूमिभागम्स बहुमज्भदेसभागे पेत्याघरमडवे विउबई अग्रेगख भ सयसनिविट्ठ वगणउ अतो बहुसमरमणिभ भूमिभाग विउवद् उल्लोच अक्खाडग मणिपे टिव विउन्दु तीमेण मणिपेटियाए उरि सीहासण सपरिवार जावदामो चिद्दति तएणसे सूरिया देवे समणस्स भगवर महा वीरस्स आलोए पणामकति २ त्ता अणुजाणउमे भगव तिकट्ट
सीहासणवरगए तित्थयराभिमुहे सन्निसन्ने तएपास मूरियामदेव विन्दिता नमस्थित्वा च उत्तरपुरित्यम दिसीभाग मित्यादि सुगम नवर वटुसमभूमिवर्णनमः
पडयवर्णन मविपीठिकासिहासन तदुपवुल्लीचाकुगमुक्तादामवयानि च प्राग्वत् गयान (तएण)मित्यादि। तत' मूर्याभी देव स्तीर्थकरस्य भगवत आलोक प्रमाम करोति । या वादन भगवान् मामियनु पापना कृत्वा मिहामनवरगत' सन् तीर्थकरा भमुख मनि पन्न (तएय)मित्यादि । 'मत' सूमी देव तत्प्रथमतया तम्य नाटयविधै प्रथमताया दक्षिण बुछ सकरी थमण भगवन रति वरिषदेला जिमणायासाथीमाडाप्रदक्षणाकर करीन वाद नमस्कारकर बातइकरी क्रियससुद्धातकरकरीन म स्याता योजनलगद उनु दण्ड ज गदमनिस्तारवीस्तारी उत्तर क्रिययोग्यहुक्ष्मपुद्गलागृहद वीजीवला चक्रियरमाणात कारवादकपुट्लगृहणकरी जीवसन्दपाछिल पाठघणु, इसानकूणइसमर मसीन भूमिकामा वेड्युथादृष्टात मुरजवाजिवविसेननुचमपुइइ वावत् शब्दकी जेहवीपूरविण धरमप्रसिइहाघणाजाणिवा तेहधा समुरमणीक भुमि भागद घंण मध्यभागद प्रेचाघर मेडेव भोप अनेक थमनद सतिद करीनीपनायुछद्र वण कवियनव तमाधि टूकड धग, सम रमणो प देशनीपजावद ऊपलीभूमिवर आनुशाम प्रेक्षाघरमाहिअपमाहिमयीपीठिका नापजावर ते मागिपीठिकानद अपरिसिहामन परि वारिममित्गदमिहामनअपरिविजयदुपतण कागदपाचमोतीउटामझूमण निहा रहछि ति सूयाभ दर श्रमण भगवत महावारतरचयिक प्रयासकर करीना भगत जमकी मिदासगाया
ममनार कटर
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जाणजी