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________________ २५ रायपमेथी। भगव महावीरे जवुद्दीवे दीवे भारहेवासे आमलकप्पाए गयरीए वहिया अवसालवणेचेईए? अहापडिकव उग्गहर उगिरिहत्ता सजमेण तवसा अप्याण ३ भावमाण विहरत्ति तमहाफल खलु तहामवाण ४ अरिहताण भगव ताण नामगोयस्स५ विसवणवाए किमगपुण अभिगमण व दन मसण पडिपुच्छण पज्झुवासण वाए एगस्तवि आयरियम्स धम्मियस्स सुवणिवस्त सव गायाए किम गपुगाविउलस्सं अहस्स गहगायाए तगच्छामिण समण भगव महा वीर वदामि नमसामि सक्कारेमि सम्माणोमि कल्लाणाण मगन देवय वतिय पज्भवामि एव मेयेवाहियाण मुहाण खमाए निस्साए अणु गामियत्ताए भविस्सइ तिक्कट्ठ एव सपेहेद एव देवाना मिया बटनव' प्रीजा। त “गच्छहण"मित्यादि यम्मादेव भगगन विहरन् वर्तते तत्तस्मादेवानीमिया यूय गच्छत जम्बूद्वीप २ तवापि भरत वप नवाप्यामलकल्पान्नगरी तवाघ्यामुशालवनं चैत्य थमण भगवन्त महावीर विकृत्व स्वीन बारान् प्रादक्षिणप्रदक्षिण कुरुत आद एहएताइमरूपनेागलिकहोस यात्मानविपद चितित मनविषयाप्तसकलविशेषथकीऊपनउ अन्नामकानिश्चदः श्रमण भगवत महावीर जबूदीपद भरततर आमलकप्पानगरीदः शहिर पामुसालवन चेत्पनविपद् यथायोगदसाधून प्राचारद रहिवान आजादूगृहीनद सयमद तपद्र करी पापणाआत्मानह भावनाधका विचरा तमोट उफल निश्चय तीर्थकरनदू गुणडकरीसहित तेपाहत भगवतनउ मजागुणनिफन तेहनउपमिसाभलवडकरीनअगतिकीमलामवर्णतेहस्वर के हवउ वलीसाहमउ जाउ वादियोसुतिप्रमाण उक रखउ प्रमादिकनउवलीपूरुवउ सेवान करवद एकर पणिआर्यनउ धर्यासबधीनउ सुवचननद साभलवउ करीतहनउमुकहिवर वलीविस्तीर्ण अर्धनउ गृहवर तणकारगइहु जाउ श्रमण भगवत महावीरन बाद उकरलोड नमस्कारकरउ मम्तमनमावउ भारदेउ योग्यतापणसेवाकर कल्यायप्रभुदयनूकारण मगलदुरितउपसमाविवानाईतुएइवदिवपरि प्रतिमानीपरि सेवाकरउ एहभगवतवदनादिकमहुन • जन्मातरि हितभणीपथ्यायवनीपरि सुखमणीयोग्यतामणीव्याधिघातक पवत मोचमी भवनी १वेप, घेरते। २ घग्गर, गुरम् । ३ प्रमाणे, प्रपणे। ४ परिद ताण, परहे तायम् । । मगर नाय नामगोयस्त, सामगोयता। वदन, वैदरा। मसण, समम ।
SR No.007379
Book TitleAgam 13 Upang 02 Rajprashniya Sutra Shwetambar
Original Sutra AuthorN/A
AuthorRai Dhanpatsinh Bahadur
PublisherRai Dhanpatsinh Bahadur
Publication Year1917
Total Pages289
LanguageSanskrit
ClassificationBook_Devnagari, Agam, Canon, Conduct, F000, F999, & agam_rajprashniya
File Size9 MB
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