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________________ २६२ रायपमेणी। टुहवा तिहा वा चउहा वा सखेमाहा वा फानियमि वा जीव पासतो तोगा अह सदहिन्जा तव जम्हाण भ त अह तसि पुरिससि टुहावा तिहावा चउहावा सखेमाहा वा फालिवसिवा जीवन पासामि तम्हा सुपट्टियामे पहन्ना जहा तजीवो तहरीर तचे व तएण केसी कुमार समणे पास राव एव क्यासी मूढ तराएण तुम्ह पटेसी ताउ तुत्वत्तराउ कणा भते तुत्यत्तराउ पदेसो सेजहानामए कई पुरिसा वणत्यीवगणोपजीवा वणग वेसणा वागा जोवच जोबभावणच गहायकट्ठागा अणवि गणप विट्ठा तएगाते पुपुरिसा तीसे थकामियाण जाव किचिदेस अणु एत्ता समागाएग पुरिस एव ववासी अम्हेण देवाणुप्पिया कट्ठाणा अणवि अविस्सामोएलोण तम्ह जोयभायणाउ जोइ गयाइ असण साहेज्मासि अहत जोइ भायणे जोए विभाएमा एतोण तुम्ह कट्ठातो जोति गहाय अम्ह असण साहेमासि तिकटूकट्ठाण फुल्लुप्पलकमलकीमलुम्मिलियमिअह पगडरेपहाए रत्तासोगकिसुयपलासपुप्पमुयमुह गुन्जडा रागसिरेसेकमलागरनलिणि सण्डवीहए उहियमि सूरे सहस्सरासिमिदिणयरे इति परिगृह देयतउ जउ हेपूज्य तेह पुरुपनदविषद बरप्रकार वणि त्यार सप्याता फामिया' करण थकर जीवप्रति देवतउ तरह मानतपुतीत आणे सपीरथा जीव बनेर उ जंग इमारण इण्ज्य हू तेह पुरपनइविपद् बिद् वणि च्यार मख्याता फालियाकरइथकह जीवति तदेषु तेमाटर साचीमाहरी प्रतिज्ञा जेह सरीरतहजजीब अनजीवतेसरीर पूर्वनोपरद पदेसी इमकहापही केसी कुमार श्रमण प्रदेसी राजा प्रति इम बील्या घणु नमूटमूर्य तुम्हे हेप्रदेसी तेपुरुषकीधणुन तुतोछडु गुरुकदमकहीपछी प्रदेसीपूछडछद तकउणपुरुष हेपूज्य जेहघकी दूघणुजमूढतोछ दु हम राइकहापछी गुरुकहछद्र हेप्रदेसी तेह यथाहाटात कोद्रक घणो पुरुप वयसवधीद धणना अथा वननी आजीविकानी करणहार वनमाहिदूधणनीगवेपणानाकरणवात अर्घ अग्निप्रति अन अग्निभाजगप्रति ले दूधणनी अटवी प्रतिपदा तिद्वारपछी तेह पुरुष छेह वाछवान अयोग्य एतल महागहन अढवीनुसघलु वर्णकमाणसरहीत तेहनीएकदेसप्रति पद ताथका एकपुरुषप्रति इमतेसघली बोल्या अम्हे अही देवानुप्रिय काप्टन अर्थि आधेरा अटवीप्रति पद सउ छउ एहथकी तु पपि भाजनथकी अग्निप्रति ले नद धानप्रति राधे अधवाजु तेह अग्निभाजनद
SR No.007379
Book TitleAgam 13 Upang 02 Rajprashniya Sutra Shwetambar
Original Sutra AuthorN/A
AuthorRai Dhanpatsinh Bahadur
PublisherRai Dhanpatsinh Bahadur
Publication Year1917
Total Pages289
LanguageSanskrit
ClassificationBook_Devnagari, Agam, Canon, Conduct, F000, F999, & agam_rajprashniya
File Size9 MB
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