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________________ सुमार उनसे पर्देसि गये एवं दवासी टेवानामए के घुरिले य तविद्वाय वहिं स्वाप नवपति विश्वहिं म म सारं वाचा परि पी सोवेव पुरिने दबाव सिप्पो न व्यनिए दाग त्रुटिया दुनिया पीए संविगाए वहगिताए पि वृदानियल विहिं सवर्ण व रोहि घृणाख एहि पत्रिका डर्हि पफां न श्रवमार वा जाव परिवचिण मोड बन्न भने पुरिमा पाइ उगरा भवति वावचिन्ने विचुन्नोव गर गोपभुग महापरिवत्ति महाडिग तुम्ह पडसी जहा यन्ती तपने पसीना केसी कुमार समय किमती स्वस्य स्वभावतयाम्युपगत्‌मा यादेवेत्यादि वर्मा निवारियादि ४० 드 तयाचावरीन्द्रयानी पाम्युटर सडक एकटा जोडमारप्रति श्रथवा चित्रालगड वाग्भारप्रति दि वीर पूर्वज्य वै पुरुषकाचाचरण जूनपा पot a fasई पात्र नवीन मोटा लोडाप्रतिबजादिनी भारतीय राजमति इन हजा हृष्टात कडक पुरुष तस्सुराम विज्ञानमति नी का sea नवी पिडा भतिजा भारतवाहिन ममया दारा नागविश्वान धक पवित्र घुडी परिया पतन ढीला या मामा लोहारप्रति चकारिका भाति are deतपतिभारत्य उप स्थामा भारतमा प्रज्य पानी पर नाट उपाडनिकट गुरुवद्भिर्ब्रह्मर्यदृष्टां विषाद पीडड डबिनबलबुडिस्गंज अपगपजूनाना पाटड स्कूटप्रति दहिवानर वेाटइव्हत मानत उपदेसी वा सरीरयी अनमन्त्री जीवका अनेक सरीरमन इ इनकी देशी
SR No.007379
Book TitleAgam 13 Upang 02 Rajprashniya Sutra Shwetambar
Original Sutra AuthorN/A
AuthorRai Dhanpatsinh Bahadur
PublisherRai Dhanpatsinh Bahadur
Publication Year1917
Total Pages289
LanguageSanskrit
ClassificationBook_Devnagari, Agam, Canon, Conduct, F000, F999, & agam_rajprashniya
File Size9 MB
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