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________________ २४१ - - - - - - रायपसेगी। भोजड्ड पभावासति जाव याद साएवियण उमाणभूमीए णो सचाएमि सम्म पकाम पवियरित्तते ततेण चित्त सारही पएसि राय एववयासी एसण सामी सव्वविज्भोकेसी नाम कुमार समणे जाति सपणे जाव चउणा णोवगते अहोहिए अण्णजीवी तएण से पदेसीराया चित्त सारहि एववयासी अहोहित क्यासि चित्ता अपणजीवियत्त क्यासी चित्ता इता सामी अहोहिय यत्तवयामि अन्नजीवियत्त वयामि अभिगमणिझण चित्ता अमेएस पुरिसह वा मामी अभिगमणि अभिगमत्थामोया चित्ता अम्हएय पुरिस इता सामी अभिगच्छामो ततेपा से पएसीराया चित्त या सार हिणा सद्धि जेणेव केसीकुमार समणे तेणेव उवागच्छदर कैसिस्स कुमारसमणस्स अदूरसामते विव्वा एववयासी तुव्मेण भते अहो महालियाए माणुपरिसाए महया महयासद्देशनुयाद भूत यस्मिश्चेत्य चैप्टमाने साए दियण मित्यादि स्वकीयायामपि उद्यानभूमी न सवाएमीन शनुम' सम्यक्प्रकाश स्वेच्छया अविचरितु एवं सम्मेचते स्वचेतसि परिभावयति सम्मक्ष्य चित्र सारधिमवमवादीत चित्ता इत्यादि। अधी वहिए इति अधीवादिक परमावधिरधीवर्त्य विधियुक्त । अण्णजीविए इति अन्लेन जीवित मायधारण यस्यासावन्नजीवित'। सिजहानामए इत्यादि वे यथानामए इति वाक्यालकुकिदातिकारपछी चिन सारधा प्रदेसी राजाप्रति इम बोल्प एह हे स्वामी पाश्र्वनाथनासयता नाया केसी नाम कुमार श्रमण नगति सपन्न तिहा लगिवणककहि जिहा लगि पाच सदसाधनु धवासत्वादि चारजान सहित परयाबधिज्ञानमहितछ अवधिज्ञानुधणी विपय अधानावड धणी छतमाटि अधोवधा काया अनेराजीव अनेरा मकरामानद छद्र तह प्रदेसी राजा चित्र सारथीप्रति एम बोल्पु परमावधि पणु कहपूछद ईचिव अन्यक्ष जीवितपणउ कह छह चित्र बलतउचिव का छद्र स्वामी एहपास परमावधिपणु कहू छउ अन्यजीवितपणु काउछ वलीप्रदेसीपूछद छह साइमाशालीजीद गोष्टिकरी एहबु हेचिन अमेयूएइज पुरुषकद वली चिवकहे तीहा स्वामी साहमाचालीना वायोग्यछर प्रदेसीकहद छ एह माघमान स्वर ईचिव अमेएहपुरुषप्रति चिन कददू हाम्वामी साहमउज तिहारपकी तह प्रदेसी राजा चिवन सारथी साधि जिहा कैसी कुमार श्रमण तिहा जाए जहनदू कसीकुमार श्रमणनद्र अतिवेगलनही अतिदकडुनही उभारही दूम बोल्य तुम हे भगवन परिमवधिधमा अन्यनीवना करणहार तिद्वारपछी कैसीकुमार थमण प्रदेसी राजाप्रति इम बौल्यु तह जिमकोडक अकरल
SR No.007379
Book TitleAgam 13 Upang 02 Rajprashniya Sutra Shwetambar
Original Sutra AuthorN/A
AuthorRai Dhanpatsinh Bahadur
PublisherRai Dhanpatsinh Bahadur
Publication Year1917
Total Pages289
LanguageSanskrit
ClassificationBook_Devnagari, Agam, Canon, Conduct, F000, F999, & agam_rajprashniya
File Size9 MB
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