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रावसेयी ।
कियसरीरे सातोहातो निगच्छति २ जेणामेव चडबटे आसर तेामेव उवागच्छ २ चाउघट आसरह दुमहति सेयवियातेागरी ते मज्झ मज्या गिगच्छदूततेासे चित्तं सारहीत योगाइ जीवणा उज्झामे ततेासे पदेसीराया उगडेगाय तपहातेरहवा एण परिकिन्तस्तति समाणे चित्त सारही एववयासी चित्तापरिकिन ते सरीरे तेपरावत्तेविरहं तएासे चित्त सारही रह परावत्तत्ति जेगोव मियव उज्भागो तेगोव उवागच्छद्र परमिसय एववयासी एस सामीमियव उज्झाणे एत्थण आसागा सम किलाम सपणी मोतगासे पसीरायाचित्त सारडी एववयासी एवं दोष चित्ता तण्या से चित्त मारडी जेगोव मियव उज्झाणे जेगोव के सिकुमार समगास्स अइरसामते तेगोव उवागच्छद्र तुरए निगिगह रह ठवेंद्र रहातोप चोदभद्र तुरएमोएति २ पएसि राय एववयासी एरिया
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Ratfrat arcitaर्ष प्रतिपादनाथ चोक्ता । सिरिए हिरिए उनगए उत्तप्पशरीरे इति श्रिया शोभया क्रिया लज्जया उपगतो युक्त । परमपदादिशोभया गुप्तशर चेष्टाकतया चोपलम्भात उत्तप्त शरीरदेदीप्यमान शरीर । अव कारण विमृगति एप किमाहारयतिकमाहार गृह्णाति
तुट घडविहिनि तिहा जाइ इनटू चतुर्घट घोडवहिलि चढडू मेवविया नगरीन्द्र माहिर धर निकलर तिब्हार पको तेहचित्त साधा तेहनदू रथ अनेक जीवन लगडू भमाडडू चलावड तिव्हारपशी तेह प्रदेसी राजा तडक तृष्णाइ करी स्थनद्रचायरद्र धूलिकरी अत्यंत क्लेम स्वेद पायु धक चित्रमारथी प्रति एम बील्यु ऐकिव अत्यंत खेदपाम्युव माहराज सरीर ताहरऊपरा are tप्रति तिहार पछी तेह चित्र सारथी रचनद्र ऊपरासुवालद्र जिहा मृगवन उद्यान far जानइन प्रदेसी रायप्रति ट्रम बोल्यु एह स्वामी मृगवन उद्यान तिहा घोडानव धन कुकिलामी ढाली तिहारपत्री तेह प्रदेसीराजा चित्र सारथी प्रति एम वोल्युम सुधार हेचिव तिवारपबीते चित्र सारथी जिहा मृगवन उद्यान निहा कैसा कुमार ग्रमय अतिवेगनुन हा अतिदुगुनी तिडा जादू धोजा प्रति गृहद रध घापड रघघकी ऊतर धोकान दूमके मुकीने प्रदेसे राजाप्रति एम बोल्यु आव्यु हस्वामा घोडाननु घकश्री किलामनं टालान विचारपत्री तेह पसा राना ऊतरेजतराने चित्रने सारवार घोडानुघकेल किलामना टालतुदको देपटू जिन्हो केसा कुमार श्रमण मोटा महाविस्तारद मनुष्य परिपहान माहि २ बैठचोधची