SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 220
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ रायमेथी । कोस कोडागार पुर अउर चिच्चाचिडल धगणकणगरवण मणिमो त्तिय सखसिलप्पवान सतसार सावतेव वित्यपुत्ताविग्गोवदत्ता दागणा दात्ता परिभात्ता मुडेभवित्ता आगाराउ अगागारिय पञ्चयति यो खनू अह तहास वामिचव्या हिरगण तचैव जावपव्वत्तित्तत् श्रहण देवागुप्पियाण अतिए पचाणुवडय मत्त सिवावावर दुवानसविह गिरिभ्रम्म पडिवज्झित्तर हासू देवाप्पिया मापडिवध करेह ततेासे चित्ते सारही केमिस्स कुमारसमणस्स प्रति पचाणु व तिय जाव गिरधम्म उवसपभित्तामा विचरति तलेगा चेत्तेसारही केमिकुमार भ्रमणस्तण वदति णमसति जेणेक वाउघटे यासरहे . २२३ वयं धन रूप्यादि धान्यवलवाइनकोण कोष्टाकारपुरान्त पुराणि व्याख्यातानि प्रतीतानि च (चिच्चाविल) धनत्यादि धन रूपादि कनकरत्नमणिभौतिकशध्वखा । शिलाप्रवाल विद्रुम मत विद्यमानमार प्रधान यत् स्वापतेय द्रव्य बियित्वा भवत परित्यज्य गोपयित्ता एकटीकृत्य तदनन्तर दानन्दीनानाथादिभ्य परिभाद्याव पुवादिषु विभज्य "पहिगय जीवाजी” इति अधि मती सम्यग्विनानी जीवा जीवी येन स तथा उपलब्धे यथावस्थित स्वस्वरूपेण विज्ञात पुराव पापी ग्रेन में उपलब्धपुण्यपाप, आश्रवाणा प्राणातिपातादीना सम्वरस्य प्रापातिपातादित्वा स्थानरूपस्य निर्जराया कणा देगतो निजरणस्य क्रियाणा कायिज्यादीनामधिकरयाना खड्गाबीनाघर नगरी स्वीवादिक काडी विस्तीर्ण धनसुवणत्नादिक मणिचद्रकातानि मोतीचर देप्रकार दक्षिणावत् राजपादि चिम तट प्रधान स्वापतपचद्रव्य नांखीनद्र भूमिमाहि डाटा हुइर्तगढ करीनदीभयदानदेव युवापीर्वादक भयोविडवीदेद्र मुडहर गुहस्याग, मथकी यतीपपत्र पाम नही निश्चय हु' तिम छु तिमकरीसकु नहींछोडा हिरण्यादिक पूर्ववत दान पडव जुदीचा भूतुमार देवानुप्रिय समीपि पचाणुवृत सात सिचावृत एवु बारे प्रकारे गृहस्थ धमप्रति लगाकारकरस्य बलतुकेसी गुरुकडइयधामुखजिम इहलोक परलो कि सुख हूतिमकर बुदेवानुमीय नहीप्रतिबंधकम्तिमा परिवार तिहारको तेह चित्र सारथी केशी कुमार श्रमणप्रति समीप पचचगुवृत सातमिवावृत भार इमेदिग है धर्म श्रमीकारकरी विरइद्र तिवार पकी चिcereal केसी कुमार श्रमयप्रति वाद नमस्कारकरs जिहा चातुर्घ ट अश्वरथ तिहा जाडवासावधानडूउ चतुघ ट धोडवहिल चट जेह दिशधी बाव्युह तर तेहच दिसप्रति ऊपरा "यु तिहारपकी ते चित्र सारथी श्रमणोपासकयतीनुशावक सेवकद्दूर जायवावजे जीवा जीवन्तलरचेतनालच खोजीव चेतनारहित ऽजीवतेहजीवनी १ ४ भेद बञ्जीवज्ञापयि १४ मेद पामुकपुष्य
SR No.007379
Book TitleAgam 13 Upang 02 Rajprashniya Sutra Shwetambar
Original Sutra AuthorN/A
AuthorRai Dhanpatsinh Bahadur
PublisherRai Dhanpatsinh Bahadur
Publication Year1917
Total Pages289
LanguageSanskrit
ClassificationBook_Devnagari, Agam, Canon, Conduct, F000, F999, & agam_rajprashniya
File Size9 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy