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________________ रावतेी । तहेव ज े गोव बलिपाढे व गोव स्वागत गोव वागडे विमज्माण करेंद्र- ग्रभिउगिया देवा सावेद २ एवं खिप्यामेव भो देवागुप्पिया सूरियाभे विमाणे सिधाड चउक्केचच्चरेषु चउमुद्देसु महापयेम पगारे पालतु ट दारेमु गोपुरसु तोरणेसु यारामेमु उजा वणतीरेषु वणएससद्धेषु अत्त्वयि करे पत्र खिप्पामेवपव्वप्पिणड तते ver सामान्यवृचवृन्दनगरासन्न एकजातीयोत्तमवृचसमूहो वानीकच्यातेपुजना रजिक करद्र तिहामूकर तिहार प्रियाउ सूर्याभ विमान वाटपावीमलइतविर चारमागचासइतेको एएफ काठ च करोति तदनन्तर मणिपीठिकाया सिहासनस्य बहुउदे तदवापि सिद्धायतनवत् दक्षिणद्दाराणि पूर्वनन्दापुर, पूर्वनन्दापुष्करिणीती वलिपीठे समागत्य वस्य बहुदल पूर्व में সजू योगिकदेवान् शव्दायथातिमन्दापयित्वा एवमवादीत पव्वप्पियन्ति" नवर गूगाटकं मृगाढाই मिलति । चतुष्क चतुष्कपययुक्तम् । चतर दिचु पन्यानोनिस्सरति aerat rare * प्राकारस्योपरिभृत्याश्रयविशेषा चरिकটঊমংমুট प्रासादादीना गोपुराणिप्राकारद्वारा हूँ न % लताग हादिषु दम्पत्यापत्यमवा रामafter समूहतर म अ ' th PAST F * मध् Wine Beglas कु an on that h ষ ক aut tale के https ★ *ले तुন A theang 5+ वह कई होल AT ht ረ दि $5 चत्मरचा या fas न सहस्रनइ पी चार भद्रा र परिषदा देवनद दक्षिण * तिहारपदी पछी तेहनइ सूर्य 1 सण सहस्रनद्र विष ता पछिम चारसह * सरीरद्रचरी वरीष्ठ भायानापाटी चर्ममयीजे पहरा जेण चारोप्य
SR No.007379
Book TitleAgam 13 Upang 02 Rajprashniya Sutra Shwetambar
Original Sutra AuthorN/A
AuthorRai Dhanpatsinh Bahadur
PublisherRai Dhanpatsinh Bahadur
Publication Year1917
Total Pages289
LanguageSanskrit
ClassificationBook_Devnagari, Agam, Canon, Conduct, F000, F999, & agam_rajprashniya
File Size9 MB
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