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________________ भगवति चम्पा मागते तरस्तोति न विरोध | सारेपत्ति प्रबरबस्वादिभि पूजयति । समाविति तथाविषया वचनादिप्रतिपस्या पूजयत्व वैति । एवंसमिधिपापापविश्यपडिपूर्वप्रति वातावरवाचम् एवमिति वम्राटेश स्वामिवियामन्यचार्थ इति रूपदर्शने पाया तहात सम्माणित्ति सकारिता सम्मापित्ता एवंषयासी बयाचं देवासुप्पिया समये भगवं महावीरे इहमागिच्छना समोमरिया इष चंपायरौए महिमा पुसमह चेह एअहापढि गई उगिरिहन्ता संनमेयं तवसा चप्पायं माषेमाणे विहरे जा महिमावत तितिदिगामरसहितो राजसमा एप वरोमर वादरस्तुतिकरण नमस्कार पंचांग प्रणामकरण वांदोर नमस्कार करोनर सिंहासनवर मनपरिमल पूर्वदिसिनपमिवसमुह निपीतिमघूमर वरसोमर तेलविवामरावतीवधामसोना समर प्रोत्तरमतसहस्र एक बावन घाट महस्ररूपानाच प्रोतियानखतोष पनवेदन दययतिपाप पापोन प्रकारेपनिबन देवरी वचनमपित्तिकरीसमान वस्त्रादिसत्कार करोनर वचनमपिपत्तिसन्धानोनर पह वह हवुराजाजूसिव निवारण पडदेवान मानिसक वमपतितपतावरणहार भगवंतमहिमावंत महावोरक मंगवुमा जीपचचार ह चंपानगरो पिपा पाउधारण पानगरी समोर एकतानतरम् चपानममविषर महिमावाहिर पुष्य भट्टनामि चेत्वयश्चन मासादिश्वाप्रतिरूपसाधुन पाचा भववदमानव नदिवरजतरवाली पात्रात ग्रहीम मोन संवमसतरम्बार चिकरी तप१२ मे दते पर करो प्याच पापटपका भावे माभावतां वितरमातरं विवरेवाविचरमवर्त्त तिवार तुम्हे मानहभगवंत पथमा सबंधोधर्मवान्तनिवेदश्यो कहिल्यो संभा
SR No.007378
Book TitleAgam 12 Upang 01 Aupapatik Sutra Shwetambar
Original Sutra AuthorN/A
AuthorRai Dhanpatsinh Bahadur
PublisherRai Dhanpatsinh Bahadur
Publication Year1896
Total Pages466
LanguageSanskrit
ClassificationBook_Devnagari, Agam, Canon, Conduct, & agam_aupapatik
File Size9 MB
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