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मोति च १५ बोपुन्यबाईसरमेति सजिनां सतो या पूजावि मानो मव स्वा महारवं तत्तथा १६ पाश्रीविद्या गोशालक मताद
सकारमान्याचं
सखो पुष्ये प्राईस रखे समुप्पजति कति पनि भित्ता नहि सौवष्वय चषेरमण पास पान्ति पाखिता भक्तंपञ्चखति बहू
तएते समुप्पसबार सरखसमा सयमेषपचाणुष्ववार पडिम पञ्चकखाग पोषहोववासार पप्पा भावे माणे व यासार भन्सार भसयाए, केर्यति श्ता आलोय पचिता समाहि
निर्मण प्रतिनिछतेबरोनर शाम उपजहार ह नापायरिना] [भरच चार कामावरचोयादिपापनमो प्रोकायगाउपशम उपम्यापतिपाम्याते दवरी रहस्य भावभूख भवाघनेरखपुर पात्रम् कुशहवचोमसमग्र वस्तु पुटामपि वे सहाश्रिमतिम वचनमबु पच[] इतिनिवर करेमाचाच इयादिपूर्वोकमोड नाकरचचार संधिवामनसहित गर्भ जमभूपूर्वि कोजा वजन समरस सारड बु जातिमरयमतिज्ञानसम्यम्मवारपर विचारपछी सम्बनध कारि अपनइजा तिकारण पाहिखोज का भाव पो समातर स्वयं पोत विषय मूलपाचातिपातादिकपांचभच्छवत मौकार परिवर्षीनगीकार करोनर घाइक मौलव्रत पतपांच गु प्रतধरमचरामादियजीनियत्तिमच पचचयनवकारसीपोरसीप्रमुख पोसपर्व हिमनश्रो महान चाहारादिवच्या रिमेदिवमंतीवरसहारते उप बारसहितचरी प्रापपात्मापरीरभावतयो इचोकरको मतबतच मचाश्वयरिसमधी पाबुजीवितब्य पाल पशुमवर पाच प लोग भातपचादिवस पाचारपचचर परिहरर मचाइक्रमातमोवनादिव चवचरूपमा पादिकर करोनर मेदनबारे प्रेोनिवारी दी
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