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________________ परिष्वायगस्य चंतिए धूलगपायाषाएपञ्चकखाए जायजीषाए मूसावाए श्रदिवादास्पञ्चकखाए जावजीवाएस मेहुणेपञ्चषखाए जावज्जीषाए षलएपरिम्मत्रे पञ्चवाए नावच्त्रौवाए प्रदाणि श्रम्हे समणस्स भगवओोमहावीरस्स अतिव सध्यपास्पाइवा यपञ्चक्खामो नावजीवाए एव जावसष परिग्गहपञ्चक्वामो जामनीषाए मध्य कोह माण माय जो पे दो कलर अम्भक्खायं पेसुख परपरिवार्य पर मायामोम मिच्छादंससलभकर पिन देपार व पूर्वपुषत्रतभादिर वामअवसर पुष पन्हे पन्यष्टनामापरिवाजक सन्यासो प्रतिसमोपर घूसमोटकायेंद्रियादिकप्राणजीवनप्रोप्रतिपाति पवस्व विवस आजीवितांग वूलमोटिकापांचपावादभूठियो लिवतिपद्यमा धूलप्रदत्तनिपयोधरी कागते पण दोषठ सेव पच निवर्त्ता है जो विदूतांबर सर्वमेतविषमसेवाघोदारिकर्षे कियमे दद्द करोम से पच वनिवत्तव्यवकर जांजीवर ताबगर समोटि कपरिमृधरामिव ते पश्चिपवयोनिषत्तव्यव्वर बाबोवोतलिगर हिवडापुषमिवरसहित भम् श्रमण भगवंत महावीरन पति समीप सर्वमभवचन काया करो करकराय अनुमोदन मे दप्रापातिपाति जीवमोचि सापच प्यादेतदसाथि भिवयछ जानीविधतासगर एवं एपी मारिंबावयन्दयको परिपत्रपचखधोकर जबोदितांग सम्ोषस सर्वमानप्रभिमनि मायाबंधना सोमवारूप प्रेमखेहरूप हे पथप्रोति eve werden विवाद भवमपरनर पालतु देवख पेडन्यांपारको भाडोकरवो परपरिवादपारको अपवादवोविधी सयममइविर्ष परतिसाता अयमविरतिमाथाकरोने सपाम्मू ठड वोविध मिपाठय दर्शन देववत नेहरूपशमये कुगुकु देवकुष सचिन ते सर्वपर्योबोनी
SR No.007378
Book TitleAgam 12 Upang 01 Aupapatik Sutra Shwetambar
Original Sutra AuthorN/A
AuthorRai Dhanpatsinh Bahadur
PublisherRai Dhanpatsinh Bahadur
Publication Year1896
Total Pages466
LanguageSanskrit
ClassificationBook_Devnagari, Agam, Canon, Conduct, & agam_aupapatik
File Size9 MB
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