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ये सम्पदा माता से तथा पादोसि पालोमा युरमाश्रिता भरगति कचित् तव भद्रका तुपतापका सेव्यभिचागुयात् तत एव विनोता तदेवाह पम्मापि सगा अम्बावित्री शत्र पका सत्व मनतिक्रमणीय वचन रोपां ते तथा तथा अपिच्छा महेच्या परिस्तु धनधान्यादिखोबार एतदेव वाक्यान्तरेणा अप्पे भारभ पमित्यादि प्रहार भो जोवानां विनाश समारंभ तपामेव परिताप वरच प्रारम्भसमारम्य तद्वतिति हति जोविक कप्पेमापत्ति प्रयन्त कुष्याच्या ॥७॥ छ ॥ मेजाप्रोमा पोति पथ या एसा अंती
धम्यापितो' सेवका अतएव प्रेमाविषयं भरकम बिग्यपणा इव सम्बन्ध पप्पारमा अपपरिणदति प्रहारथ प्रथिव्यादिजीवोपमई कयादिरूप
तिमपिबववणा पिच्छा चप्पार भी अप्पपरिम्गा अप्पे चार भेणं
चप्पेणसमार भेयं अप्पार्ण भार मे
समार भेवं वित्तिकप्पेमाणा महर वासार पाउपार्जति पालिप्त्ता कालमा काल किञ्चा श्रणसरे सुवाणमतरेस रमावर विनोतविममगुणिकरीसहित मातापिताना खूपच सेवाभगतिनावरपाहार मातामनरूपितानो वचन कहते ह कथन प्रतिक्रमई लघ इनही प्रत्ययामोटोशानेही पत्मबोड पोषारंभ पृथिवोकाया दिवमापद्रव करसच्या दिवछ जेहन मधोपरिपवनधान्यन घोअंगीकार बोडपोसमारंभ जोवन' परितापन भोजपनाविव भोले हम इसे बर मूर्च्छा बेहन पपवोडोभारभ जीवनभोविषासक रहन इतेारकरी करौ भपबोड पोभारभ जीवन घोषिनाथ धर्म समारभयो म परिताप जेहन तेरो वृत्तपत्राचोकरतघोषकपो महा घपाठ करते हर्माधि घरबगो भावपु जीवितब्यपारमतिपाचर एव प्राखष पासोमर
काठमरणमा अवसरमविपर कात मरण का रोन
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