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________________ Tollot- 100 0 । परिषति त व्यवमेव मोनिसपत्ति अम्बा भवन निमम्बा विधाये ति बारहत्ति या कायसीभवनेन सुवक्तापसि सप्ठ पारपात सामाग्य- भामा सुपरले सुटु प्रप्त विशिषमपात समापिए सुभाषित बचनध्यखित परियोए पदिगो शिर्ष षु मुष्ठ विनियोजित समाविए मुष्ठ भावित तखमयमा स्वयम पाहात्ति कोषादिनिरोधमिन विगति वापसत्यागमित्यर्ष वरमणन्ति मनसो नियति धन्ध सुपसमादिस्य तमते गिग्ग पाषषणे एवम् परमाते सुभासिए सुविणोपममाविए भयुत्तरमतेणिग्ग थेपाययण धम्म गांधाक्ष । माणातग्मे उसमपारक्खा उषसम पारक्खमाणा विगाइक्सविषगं प्रारक्खमाणावरमणं चाइक्खर रमणे पारक्खमाणपकरणपापा कमारंपाइक्सर स्थित चणेयर समपेवा माहणेषा मेपरिमधम्ममारक्त मारि परिबरीतेतीभवन् मानवनिगु धाभाषपोप्रचशिति रमप्रविषपणकावरक सोपरे वपने परीभापिविभययन सामसपोषियोतसिविपिनयमार्ग सुष्ठरपोभायपोत खनाभषिवापसी पत्तरमपानरपोपनेरपोपावोहनवीरभगवन् । निगमभगवतमसभाषपोपानमिवांत वर्णविवरामप्रितपासतावातावमारियीवोतमी उपसमक्रोधादि पिवयोपातमा हो पोशामिनपोषपयमा धिमह पारडमापापातामा विवेवमाधम बिबादिमस्यागपारासापोषपो विषेषवाभविवागकरा : विवामीपारक्यतोवावाब देरमबमनपापमोनिवारि वनेपाहारगरपोजमा वैरम पापमोममनिवानिवनपारस्पताबा मामा परिवह पापबमधानापरवाहिमनमो पापबर्मनरिवरपर पारनाकापोचपी बीमारमासिबमेरमो पारपा -000
SR No.007378
Book TitleAgam 12 Upang 01 Aupapatik Sutra Shwetambar
Original Sutra AuthorN/A
AuthorRai Dhanpatsinh Bahadur
PublisherRai Dhanpatsinh Bahadur
Publication Year1896
Total Pages466
LanguageSanskrit
ClassificationBook_Devnagari, Agam, Canon, Conduct, & agam_aupapatik
File Size9 MB
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