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________________ पर्वत समन्तान्परिचित इत्यादि सुगममापद्मवताशब्दादिति । पडमवताविति पद्ममता चकमनिय पद्माभिधानवचनता या नागादयो विशेषा पाता का सपव तत्रागोक बहवो चूत सहबार वन पोख वामन्तोमता पतिमुक्रखमता च यचयेवानामये क्लम विक्कुषविसुद्धरूवश्वमूला तो दमतो एते विसो भाणियष्या जावसिवियपत्रि मोरणा सुरम्गा पासादया दरिपिज्जा अभिमा पछिरूया ते तिलिया जाव मंदिरुक्ला अहि वजति पचमलयादि बागलयाहि अमोवलयाहि चपगक्षयादि घयजयादि षष्णजयादि वासविजयादि इनुत्तनयादि कु दलयाहि सामलवाहि दाडिमतेवर साचतेवर तासचते पर तमासाद्य चते पर पिमहचतेवर पोयंगु रोग रामनामाचपर मंदीनामिव सपदिशि महसर्वविदिशिन विपस सपरिक्खितेपतिगयत देने म चोच लावडचमण्ड बोधमेरातच जायना नदोवचनामाच गडामविकास प निर्दोष्व॑त॒ठम्मर विषोमांचितिरक्षा विस्त रहते मूलतेसहित मूनषडनर विद्यास बंदी घरोसहित एसवा मायियाक बालिवा धावशब्दवको घमे रागोसरथादिक सर्व धनगिविकापा सिपप्रमुतप्रविशेोषगमा मत्र भनारमनीजन चिन्तप्रसवमा ठेपतोह ष्टिय मामभानपामर धमिकपमनोहरवर प्रतिरूपदेवपहारजू पारप्रतिविषदोष मेनिनजहारमो जावयब्दबोधनेराप्राविया मंदोदकच घमेरा भाइ पद्मनीचांकांची चकरी नागवनी मो
SR No.007378
Book TitleAgam 12 Upang 01 Aupapatik Sutra Shwetambar
Original Sutra AuthorN/A
AuthorRai Dhanpatsinh Bahadur
PublisherRai Dhanpatsinh Bahadur
Publication Year1896
Total Pages466
LanguageSanskrit
ClassificationBook_Devnagari, Agam, Canon, Conduct, & agam_aupapatik
File Size9 MB
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