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वृषानुरूपं छत्वविष्ठरममाच मित्यर्षो मूल समौपं मस्त स तथा मूलमन्तेत्यादि विशेष पनि पूर्ववचाच्चानि यावत्पतिए । सोऽशोकवरपादप प ममितिसमेत रोपैः सप्तपरत्वत्पर्याये रयुकपत्रनाम के रघुने ककुभपर्याये भोपे कदम कुजे गिरिमल्लिकापयाये सव्ये पनसै र्दाड़िमे' शासे' सर्वपविस्तार पराजयति तमासः मिलके रसनपर्यायः प्रियनुभि श्यामापर्याय पुरोप राम मन्दिचे गि
मक्त्वमूस्ते मूस्तमते कंदम ते जावपविमोयणे मुरम्मे पासादौप दरिसणिज्ने अभिरू परुि ॥ छ ॥ मेण असो गवर पाय हि तिलहिं ( जवलेहि ) लटएहिं छतोषेहि सिरौसेहि मत्तवहि दवियहि लोहे हि घषेहि चदणेहि भज्जुषेहि पोधेहि कुड़एहिं कजवेहि मचेहि फणसेहि दाडिमेहि सानेहि ताजेहि तमालेहि पिय पिहि पुरोह रायक्लेहि दिक्तेष्टि मध्वश्रो ममतासपरिखिते तेण तिलिया उद्या नाव दिरुषखा
विश्वरते समेत भूअविद्यासे ते वदते सवंत नावमन्दय को पोलाइ आथिया रथयान प्रभु पनि प्रविमोचनम् काइदद्र सष्ठ भोरमची कदर वेदेवतां जस्तोकमाधित्तपत्रवार जेहनेदेवतांनेव यमला ममानपामा पभिरूपमभोहरकर देववहारमा अपारमतिरूपोसर तेभशोकनामावर प्रधान पादपद्यच बंचचमनापसकार भयो भनेरा बघयावेश्वरी तिसहतेष करो सबू उचते पई एषोपचतेपि सिरोपचते किं सप्तपद्यतेष दधिपचते सोचतेचि घवठचतेपर घदनचते पर पशुचर भोपतेष कुचते वचते पर सत्यवचतेपद फणस