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________________ किसी श्रोसवालों आपकी उदारता की हद पर आप के घर में पोल का भी तो पार नहीं है बतलाइये मांस मदिरादि दुर्व्यसन सेवन करने वाले भाटों से आपका क्या सम्बन्ध है कि वे भाट आज कितनेक ओसवालों की वंशावलियों लिख रहे हैं और ओसवाल समाज उनको प्रति वर्ष हजारों रूपये दे रहा है फिर भी उन भाटों के पास ओसवालों की प्राचीन वंशावलियों नहीं हैं वे इधर उधर की बातें सुन के एक ढांचा खडा कर श्री.सवालों को खूब ल रहे हैं पर ओसवाल लोग इतना ही विचार नहीं करते हैं कि हमारे पूर्वज ऐसे ही थे कि इन भाटो से अपने नाम लिखावे ? नहीं, मैं आप को सावचेत करता हूँ कि भी ओसवालों के यहां भाट नाम लिखने को आवे / तो पहिले उनसे यह पूछो कि किस समय, किस नगर में, किल आचार्य ने हम को ओसवाल बनाये हमारे पूर्वज किस स्थान में क्या क्या काम किया हमारी जाति का नाम संस्कारण का क्या कारण है इत्यादि उनसे अपना खुर्शी नामा उत्तर लो बाद उस हकीकत को प्रसिद्ध अखबारों में छपवा दो कि इस बातका आपको पता मिल जायना कि इन भाटों को बंशावलियों में सत्यताका अंश कितना है ? या यह सब कल्पना का कलेवर ही है। महाजन लोग यों तो हिसाब करते हैं पाई पाई का और यों लाखों रुपये बरबाद हो जाते हैं जिसकी परवाह ही नहीं यह कैसा अन्धेरा ? खैर अब भी समझो और सावधान हो कर हिताहित का विचार करो इत्यलम् । Rishabhedas
SR No.007300
Book TitleLo Isko Bbhi Padh Lo
Original Sutra AuthorN/A
AuthorRishabhdas Mahatma
PublisherRishabhdas Mahatma
Publication Year1940
Total Pages36
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size6 MB
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