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उपकेशपुर में महावीर मन्दिर की प्रतिष्ठा करवाई उसी समय आचार्यश्रीने कोरंटपुर नगर में भी महावीर मन्दिर की प्रतिष्ठा करवाई थी जिस के विषय में भी कहा है कि--
उपकेशे च कोरंटे तुल्यं श्रीवीरबिम्बयोः । प्रतिष्ठा निर्मिता शक्त्या श्रीरत्नप्रभसूरिभिः ॥
प्रभाविक चरित्रादि ग्रन्थों में इस मन्दिर का अस्तित्व विक्रम की दूसरी शताब्दि में होना उपलब्ध है, इस लिये इस प्रमाण को हम ऐतिहासिक प्रमाण कह सकते हैं। पर यह मन्दिर इस से भी पहेले बनो हुआ लेना चाहिये। इस के अलावा भी बहुत से प्रमाण मिल सकते हैं । देखो मुनिश्री ज्ञानसुन्दरजी का बनाया "ओसवाल जाति समय निर्णय " नामक ग्रन्थ । वि० सं० २२२ में ओसवालों को उत्पत्ति नहीं पर आभानगरी का जगाशाह सेठ ओशियों यात्रार्थ आया और उसने सवाकरोड़ रुपयों का दान सेवगों को दिया। उन के गुणानुवाद के कवितों में सेबगोंने ओसवालसिरोमणी जगाशाहादि के साथ ओसवालों की उत्पत्ति होना लिख मारा हैं और इस बात को चारों ओर फैला भी दी है कि
ओसवाल वि० स० २२२ में हुए पर यह बिलकुल मिथ्या हैं । वास्तव में ओसवालों की उत्पत्ति का समय वि० सं० पूर्व ४०० वर्ष का है।
आगे चलकर सेवग लोग पुरोहित अर्थात् ब्राह्मण होने का दावा करते हैं और ओसवालों के गुरु बनने का होसला रखते हैं। इसलिये उनको कुछ हितशिक्षा देकर उनके बन्ध नेत्रों को खोल दिये जाते हैं ।
(१) सेवगो! यदि तुम ब्राह्मण हो तो भारतीय किस २ ब्राह्मणों से तुम्हारा क्या २ सम्बन्ध हैं ?