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________________ ११ किया हो वह अपना अहोभाग्य समझ अपने हाथों से तिलक कर अपने को कृतार्थ हुआ समझता था । आज आपकी यह दशा कि भाटों ( मंगतों ) से तिलक करवाते हो यह बडा ही अफसोस हैं । ( ११ ) आधुनिक एक ऐसी प्रथा डाल दी है कि मन्दिर में पूजा पढाई जाती हैं तब बिच में सेवग थाली ले कर पैसे मांगने को फिरता हैं, इससे पूजा में तो विघ्न पड़ता हो है पर पूजा पढ़ाने व सुनने को आते है उन पर भी टैक्स पड़ जाता है । एक धनाढ्य देता हैं तब दूसरा न देवे तो शरम आती है । कितनेक लोग इसको अनुचित समझ पूजा में आना ही दिया हैं वह नादरशाही नहीं तो और क्या है ? छोड़ (१२) कितनेक सेवगोंने तो रखा है कि अमुक द्रव्य हो तबही पढ़ाई जाती है । जैसे एक एक पद होना चाहिये, पदों में इत्यादि । अमुक नाणा यहाँ तक जुलभ मचा हमारा मन्दिर में पूजा पर नालेर और गोला रोकड़ होना चाहिये प्रभात 1 (१३) पर्युषणों के महामंगलिक दिन हैं उस दिन आटा का 'पेटिया जैन मन्दिर में ले जाना अमंगलिक तो है ही पर साथ में कुशकुन भी हैं । वीतराग के मन्दिर में आटा ले जाना कितना अयुक्त है ? पर गाड़री प्रवाही लोग इसका निर्णय क्यों करे कि यह धौर आशातना के साथ दुर्गति का भी कारण है । (१४) कई अज्ञ लोगों को तो धूर्त सेवगोंने यहाँ तक बहकाया है कि शाक रोटी आदि कोई भी चिज हो पहले : मन्दिर चढ़ानी चाहीए । इस कारण भद्रिक गांवड़ो के लोग A
SR No.007300
Book TitleLo Isko Bbhi Padh Lo
Original Sutra AuthorN/A
AuthorRishabhdas Mahatma
PublisherRishabhdas Mahatma
Publication Year1940
Total Pages36
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size6 MB
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